READ MORE : सरकारी मुआवजे से नहीं जाएगा जीवनभर का दर्द, अस्पताल प्रबंधन पर हो सख्त कार्रवाई गौरतलब है कि गुरुवार को चिकित्सा शिक्षा विभाग ने राज्य के 87 अस्पतालों की सूची जारी कि, जिन्हें शासकीय सेवकों और उनके परिजनों के इलाज के लिए अधिकृत किया गया। इस सूची में 37वें नंबर पर
राजधानी अस्पताल का नाम भी है। जिसमें 17 अप्रैल को आग लगी थी। अग्निकांड में 7 मरीजों की मौत हो गई। एक मरीज तो जिंदा जबकि 6 का दमघुट गया था। ये कोरोना संक्रमित मरीज थे। जिसके बाद जिला प्रशासन ने एक जांच समिति गठित की गई है, जिसकी जांच की गति धीमी है।
READ MORE : रायपुर के निजी अस्पताल के ICU वार्ड में लगी आग, बेड से उतरकर बाहर भागे मरीज अफसरों ने सूची देखी तक नहीं और जारी कर दीसूत्रों के मुताबिक
चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने फरवरी में अस्पतालों का नवीनीकरण करके सूची मंत्रालय में विभाग को भेज दी थी। 2 महीने तक सूची मंत्रालय में ही थी। फिर यह स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय पहुंची, जहां से हस्ताक्षर के बाद दोबारा मंत्रालय गई।
हर साल 1 मई से अस्पतालों का अनुबंध होता है, और सूची जारी होती है तो 29 अप्रैल को 2 महीने पुरानी सूची को बिना सत्यापित किए जारी कर दिया गया। सवाल विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे हैं, तो अधिकारी सकते में हैं।