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कोरोना पॉजीटिव आने के कारण 15 अप्रैल को [typography_font:14pt;” >राजधानी अस्पताल में भर्ती कराया था। शनिवार शाम को अस्पताल में आग लगी, उस समय वह अस्पताल के बाहर नीचे खड़ा था। आग लगने की जानकारी मिलते ही वह सीधे दूसरे फ्लोर पर स्थित एमआईसीयू में पहुंचा। वहां आग लगने से पूरा धुंआ भरा था। अफरातफरी मची थी।
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धारा 304 ए का मामला
टिकरापारा पुलिस ने अस्पताल वालों के खिलाफ लापरवाही या उपेक्षापूर्ण कार्य के चलते किसी की मृत्यु होने की धारा 304 ए के तहत अपराध दर्ज किया है और मामले की जांच शुरू कर दी है। इस धारा के तहत आरोपी को अधिकतम दो साल की सजा या जुर्माना होता है। या सजा और जुर्माना दोनों होता है। यह मामूली धारा है। कई बार आरोपी थाने से मुचलके पर ही छूट जाता है। अपराध दर्ज करने के बाद पुलिस ने अस्पताल संचालक मंडल की जानकारी मांगी है। अस्पताल का संचालन तीन-चार डॉक्टर मिलकर कर रहे थे। इसलिए संचालन में शामिल सभी डॉक्टरों को इसका दोषी माना गया है।
पुलिस ने पीपीई कीट पहनकर पंचनामा
कोरोना पॉजीटिव होने के कारण सभी शव का पुलिस ने पीपीई कीट पहनकर पंचनामा किया। पंचनामा सुबह से लेकर शाम 4 बजे तक चला। इसके बाद सभी शव का पोस्टमार्टम किया गया और कोरोना प्रोटोकॉल के तहत अंतिम संस्कार किया गया।
परिजनों के बयान दर्ज
पंचनामा के बाद पुलिस ने मृतक रमेश साहू, एल ईश्वर राव, वंदना, देवकी और भाग्यश्री के परिजनों का बयान दर्ज किया। इसके बाद अब अस्पताल के कर्मचारियों व डॉक्टरों के बयान लिए जाएंगे। आगजनी के दूसरे दिन अस्पताल में पुलिस और फॉरेसिंक एक्सपर्ट की टीम जांच किया।
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ऐसी ही घटना में हुआ था गैरजमानती अपराध दर्ज
10 अप्रैल 2017 को गोलबाजार इलाके तुलसी होटल में इसी तरह आग लग गई थी। इससे उसमें ठहरे 5 लोग जिंदा जल गए थे। होटल में फायर फाइटिंग सिस्टम और ऐसी स्थिति से बचाव के उपाय नहीं किए गए थे। इस मामले में पुलिस ने होटल संचालक के खिलाफ गैरजमानती और संज्ञेय अपराध की धारा 304 के तहत के अपराध दर्ज किया था। राजधानी अस्पताल में भी फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं होना और आपातकाल बचाव के उपाय नहीं किए थे।