पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा है, कालीन के नीचे की सच्चाई बस यही है, हकीकत में तो कागजों में ही तरक्की है। भूपेश बघेल जी आत्ममुग्धता से बाहर निकलिए और खुली आंखों से योजनाओं की सच्चाई देखिए। नरवा-घुरवा से लेकर रोका-छेका तक सारी योजनाएं सिर्फ सफेद हाथी ही हैं जो ‘जमीन’ की जगह सिर्फ ‘विज्ञापन’ तक पहुंची हैं। इस पर पलटवार करते हुए कृषि मंत्री चौबे ने कहा, रमन सिंह को अपना 15 साल का वक्त याद आ रहा है, उन्हें पता रहा होगा कि कालीन के नीचे क्या होता है। 15 साल में उन्होंने कुछ नहीं किया, इसलिए विधानसभा के एक कोने में सिमटे बैठे हैं। जरूरत इस बात की है कि वो इथेनॉल बनाने की मंजूरी के लिए केंद्र से बात करें।
जवाब में मंत्री चौबे ने कहा- रमन को अपना १५ साल का वक्त याद आ रहा
शासकीय योजनाओं को लेकर प्रदेश में विपक्ष और सत्ता के बीच जुबानी जंग तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने शायराना अंदाज में तंज कसते हुए ट्वीट किया कि हकीकत में तो कागज में ही तरक्की है, जो इसके जवाब में कृषि मंत्री रविन्द्र ने रमन को अपने १५ साल का वक्त याद रहा है। 15 सालों तक कुछ नहीं किया, इसलिए आज विधानसभा के कोने में सिमटे हैं।
पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. सिंह ने अपने ट्वीट में लिखा है, कालीन के नीचे की सच्चाई बस यही है, हकीकत में तो कागजों में ही तरक्की है। भूपेश बघेल जी आत्ममुग्धता से बाहर निकलिए और खुली आंखों से योजनाओं की सच्चाई देखिए। नरवा-घुरवा से लेकर रोका-छेका तक सारी योजनाएं सिर्फ सफेद हाथी ही हैं जो ‘जमीनÓ की जगह सिर्फ ‘विज्ञापन’ तक पहुंची हैं। इस पर पलटवार करते हुए कृषि मंत्री चौबे ने कहा, रमन सिंह को अपना 15 साल का वक्त याद आ रहा है, उन्हें पता रहा होगा कि कालीन के नीचे क्या होता है। 15 साल में उन्होंने कुछ नहीं किया, इसलिए विधानसभा के एक कोने में सिमटे बैठे हैं। जरूरत इस बात की है कि वो इथेनॉल बनाने की मंजूरी के लिए केंद्र से बात करें।