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शहर में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का जश्न कई जगह मनाया जाता है, जिसमें हजारों की संख्या में श्रद्धालु शामिल होते हैं। खासतौर पर उत्कलवासी। लेकिन कोरोना के कारण बीते साल से यह उत्सव भी रस्मों तक ही सिमट गया है। भगवान जगन्नाथ मंदिरों से भगवान को रथ पर बिठाने तथा उसी परिसर में मौसी के घर में रखकर उत्सव मन रहा है। इस बार भी रथयात्रा की धूम नहीं रहेगी, बल्कि मंदिर परिसर में पुजारी परिवार अभिषेक पूजन कर उत्सव मनाएंगे। भक्तों का सैलाब शामिल नहीं होगा।यह भी पढ़ें: Kabir Jayanti 2021 : संत कबीर दास का दर्शन हर युग में प्रासंगिक
इन जगहों पर रहती थी धूम
पुरी की तर्ज पर शहर के अनेक जगहों पर रथयात्रा की धूम हुआ करती थी। गायत्री नगर जगन्नाथ मंदिर, पुरानी बस्ती में प्राचीन जगन्नाथ मंदिर और सदरबाजार मंदिर में। यहां इन दिनों भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के रथों का रंग-रोगन किया जा रहा है। गायत्री नगर मंदिर सेवा समिति के संस्थापक पुरंदर मिश्रा के अनुसार स्नान पूर्णिमा पर भगवान महाप्रभु को स्नान कराया जाएगा। इसके साथ ही रथयात्री की प्रक्रिया शुरू हो जाती है। अधिक स्नान से भगवान के बीमार पड़ जाने की कथाओं के अनुरूप औषधि का भोग सुबह-शाम लगाया जाता है। इस दौरान पूजा-पाठ बंद रहता है।
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12 जुलाई को रथयात्रा
पंडित मनोज शुक्ल के अनुसार भगवान जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा 12 जुलाई को है। पौराणिक मान्यता के अनुसार 15 दिनों तक भगवान को जड़ी-बूटी का भोग लगाकर स्वस्थ होने की कामना करेंगे। मान्यता यह है कि भगवान स्वस्थ होकर अपने भक्तों को दर्शन देने के लिए निकलते हैं, जिसे रथयात्रा के रूप में मनाया जाता है और प्रसाद में गजा-मूंग दिया जाता है। इसके आठ दिनों तक भगवान अपने मौसी के घर रहते हैं फिर वापसी यात्रा निकाली जाती है। लेकिन कोरोना की वजह से यह उत्सव मंदिर परिसर में होगा।