scriptसैलुलाइड से फैंटम तक पहुंचा छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर | The journey of Chhattisgarhi films from celluloid to phantom | Patrika News
रायपुर

सैलुलाइड से फैंटम तक पहुंचा छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर

क्वालिटी बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का किया जा रहा इस्तेमाल

रायपुरFeb 03, 2024 / 10:14 pm

Tabir Hussain

सैलुलाइड से फैंटम तक पहुंचा छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर

फिल्म के एक दृश्य में एक्टर मनोज राजपूत।

बॉलीवुड और टॉलीवुड की तर्ज पर अब छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री भी टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ रही है। इसका उदाहरण उत्तम तिवारी निर्देशित गांव के जीरो, शहर मा हीरो में देखा जा सकता है। फिल्म के हीरो और प्रोड्यूस मनोज राजपूत हैं। यह फिल्म 9 फरवरी को प्रदेशभर में रिलीज हो रही है। इसमें पहली बार ऐसे कैमरे का यूज किया गया है जो प्रति सेकंड 1000 फ्रेम खींच सकता है। नॉर्मल कैमरे प्रति सेकंड 24 फ्रेम क्लिक करते हैं तो एक सेकंड का वीडियो तैयार होता है। फैंटम कैमरा उन दृश्यों को फिल्मांकन के लिए उपयोग में लाया जाता है जिसे स्लो मोशन में दिखाना होता है।

रघुबीर थी आखिरी सैलुलाइड फिल्म

डिस्ट्रीब्यूटर अलक राय ने बताया, छत्तीसगढ़ी फिल्म इंडस्ट्री में सैलुलाइड (रील) शूटिंग का दौर बहुत पहले से चला आ रहा था। चाहे पहली फिल्म कहि देबे संदेश हो या पहली कॉमर्शियल फिल्म मोर छईयां भूईंया। ये सैलुलाइड से ही बनी थी। सैलुलाइड से बनने वाली आखिरी छत्तीसगढ़ी फिल्म अनुज शर्मा स्टारर रघुबीर थी।

मोर जोड़ीदार से महंगे कैमरे की शुरुआत

डीओपी सिद्धार्थ ने बताया, किसी भी फिल्म की मेकिंग में सिनेमैटोग्राफी बहुत महत्त्वपूर्ण मानी जाती है। मोहित साहू कृत मोर जोड़ीदार की शूटिंग रेड कैमरे से की गई थी, जो कि उस वक्त महंगा हुआ करता था। डिस्ट्रीब्यूटर लकी रंगशाही और लाभांश तिवारी ने बताया, सबसे पहले कुरुक्षेत्र में एरी कैमरा यूज किया गया।
सैलुलाइड से फैंटम तक पहुंचा छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर

आखिर फैंटम का यूज क्यों

पुराने दौर में जब एक सेकंड का वीडियो बनाया जाता था तो उसके लिए २४ फ्रेम लगते थे। यानी कैमरा एक बार घूमता था और 24 फ्रेम लेता था। अगर किसी सीन को धीमा (स्लो) दिखाना हो तो कैमरे को हाईस्पीड करना पड़ता था ताकि वह 48 फ्रेम ले। चूंकि कैमरे की गति तेज करनी होती है इसलिए उसे हाई स्पीड कहते कहा जाता है लेकिन सीन स्लो लिए जाते हैं। स्लो सीन जैसे किसी सीन को बारीकी से बहुत धीमे अंदाज में दिखाना हो। फैंटम कैमरे को एक सेकंड में 1000 और इससे ज्यादा भी फ्रेम लिया जाता है।
सैलुलाइड से फैंटम तक पहुंचा छत्तीसगढ़ी फिल्मों का सफर

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