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18 माह की मासूम के थे तीन हाथ, डॉक्टरों ने अलग किया

डीकेएस में प्रदेश का पहला दुर्लभ ऑपरेशन, सफलतापूर्वक अलग किए पैरासाइटिक ट्विन्स, विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम ने २ घंटे में किया ऑपरेशन

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18 माह की मासूम के थे तीन हाथ, डॉक्टरों ने अलग किया

18 माह की मासूम के थे तीन हाथ, डॉक्टरों ने अलग किया

रायपुर. राजधानी के दाऊ कल्याणसिंह सुपरस्पेशलिटी (डीकेएस) अस्पताल के विशेषज्ञ चिकित्सिकों की टीम ने पैरासाइटिक ट्विन्स से पीडि़त १८ माह की मासूम का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया है। डीकेएस प्रबंधन का दावा है कि प्रदेश में पैरासाइटिक ट्विन्स के ऑपरेशन का यह अपनी तरह का पहला मामला है। मासूम के दो हाथ के अलावा जुड़े एक अन्य अतिरिक्त बांह को २ घंटे तक चले ऑपरेशन में अलग किया गया। बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ है और उसे डिस्चार्ज कर दिया गया है। बिलासपुर जिले के पुरानी बस्ती निवासी शिवकुमार साहू की १८ माह की बेटी दिपांजली के जन्म से ही तीन हाथ थे। इससे मानसिक रूप से परिजन परेशान थे और बच्ची के साथ कहीं जाने में संकोच करते थे। बच्ची की इस विकृति को दूर करने के लिए कई निजी अस्पतालों में पहुंचे लेकिन कहीं पर भी सफलता नहीं मिली। किसी रिश्तेदार के कहने पर बच्ची को लेकर शिवकुमार २७ फरवरी को डीकेएस हॉस्पिटल लेकर आए। यहां पर बाल शल्य चिकित्सा विभाग के डॉ. नितीन शर्मा ने बताया कि बच्ची पैरासाइटिक ट्विन्स से पीडि़त है। परिजनों को ऑपरेशन के लिए कहा तो वह तुरंत तैयार हो गए। २८ फरवरी को बच्ची की सर्जरी कर पेट से सटे तीसरे हाथ को अलग कर दिया गया। ऑपरेशन में बाल शल्य चिकित्सा विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एम अमीन मेमन, डॉ. नितीन शर्मा, डॉ. जीवन लाल पटेल, डॉ. प्रतीक बारले तथा निश्चेतना विभाग से डॉ. दिपीक सिंह, डॉ. कीर्ति और डॉ. भावना शामिल थे।

सामान्य हाथ से जुड़ी थी नसें
डॉ. जीवन लाल पटेल ने बताया कि ऑपरेशन काफी जटिल था। बच्ची की अतिरिक्त हाथ की नसें सामान्य हाथों की नसों से जुड़ी हुई थी। दोनों हाथों का जोड़ भी एक ही जगह पर था। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों में इसका ऑपरेशन कराने में मरीज के परिजनों को डेढ़ से दो लाख रुपए खर्च करने पड़ते। डीकेएस में राशन कार्ड से निशुल्क हुआ है।

यह होता है पैरासाइटिक ट्विन्स

विशेषज्ञों का कहना है कि यह बहुत ही दुर्लभ बीमारी होती है। मां के पेट में जुड़वा भू्रण में से एक भू्रण से जुड़कर उसके शरीर से पोषण लेते रहता है। जन्म के बाद बच्चे के शरीर से जुड़ा हुआ यह अविकसित भू्रण किसी प्रकार की विकृति के रूप में प्रतीत होता है जैसे दो से अधिक हाथ या पैर होना, पेट या छाती से लटकता हुआ मास का टुकड़ा या पेट के अंदर अविकसित भू्रण होना आदि। इसमें से दो से अधिक हाथ होना अत्यंत ही दुर्लभ है।

प्रदेश के किसी भी अस्पताल में ऐसा ऑपरेशन अभी तक नहीं हुआ है। डीकेएस डॉक्टर ने पहली बार ऐसा ऑपरेशन किया है जो काबिले तारीफ है। यहां पर गरीब लोगों को काफी सस्ते दर पर ऑपरेशन की सुविधा मिल रही है।
डॉ. हेमंत शर्मा, उप-अधीक्षक, डीकेएस, रायपुर