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छत्तीसगढ़ के सरकारी अस्पतालों में ई-कार्ड से कोरोना का इलाज शुरू

- राज्य सरकार कर रही हर मरीज का मैपिंग, जो स्वस्थ होकर घर चले गए उन्हें भी ढूंढ रहे हैं। - डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना के तहत जारी हो रहे ई-कार्ड। - 2.45 लाख लोग संक्रमित, 70 प्रतिशत का सरकारी अस्पताल में हुआ इलाज।

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रायपुर. प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों का स्वास्थ्य संबंधी ई-कार्ड (Corona treatment in e-card) बनना शुरू हो गया है। ताकि भविष्य में अगर उन्हें कोरोना हो या वे अन्य किसी बीमारी से ग्रसित हो तों ई-कार्ड दिखाकर अपना इलाज करवा सकें। वह भी नि:शुल्क। वर्तमान में यह कार्ड सिर्फ सरकारी अस्पतालों में इलाज (Corona treatment in chhattisgarh) करवा रहे मरीजों को जारी हो रहे हैं।

निजी अस्पतालों में नहीं क्योंकि आईएमए और हॉस्पिटल बोर्ड सरकारी पैकेज रेट पर इलाज को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी तरफ कोरोना को मात देकर घर लौट चुके व्यक्तियों को ढूंढ़ा जा रहा है ताकि उन्हें भी कार्ड मुहैया करवाए जा सकें। आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश में 2.45 लाख लोग कोरोना संक्रमित हैं। जिनमें से 70 प्रतिशत का इलाज सरकारी अस्पतालों में हुआ है।

'पत्रिका' पड़ताल में सामने आया कि यह कार्ड सरकार की आयुष्मान भारत योजना (Ayushman Bharat Scheme) एवं डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता (Dr. Khubchand Baghel Health Support) के तहत अस्पताल में भर्ती होने के दौरान ही बनाए जा रहे हैं। यहां आयुष्मान मित्र नियुक्त हैं, जो कार्ड बनाकर तत्काल कार्ड ब्लॉक भी करते हैं, ताकि इलाज शुरू हो सके। इलाज में देरी न हो। और फिर इस कार्ड में उपलब्ध राशि से इलाज की राशि काटी जा रही है। जिस प्रकार से योजना में अन्य बीमारियों के इलाज के वक्त होता है। जानकारी के मुताबिक महीनेभर पहले सभी जिलों को इससे संबंधित निर्देश जारी किए गए थे। यह व्यवस्था पूरी तरह से राशनकार्ड पर आधारित है।

मैपिंग से क्या फायदा
स्वास्थ्य विभाग इसलिए मैपिंग करवा रहा है ताकि उसके पास कोरोना मरीजों का डेटा बेस तैयार हो सके। इसी आधार पर अस्पतालों का इलाज (Corona treatment in chhattisgarh) का राशि का भुगतान किया जाएगा। तो वहीं प्रत्येक व्यक्ति के पास अपना ई-कार्ड होगा, जिसके जरिए वह भविष्य में किसी भी अन्य बीमारी (जो योजना में है।) का इलाज करवा सकेगा।

अलग-अलग कार्ड की जरुरत नहीं
मरीजों को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के कार्ड की आवश्यकता नहीं है। सिर्फ राशन कार्ड दिखाएं और इलाज पाएं। एपीएल परिवार के लिए 50 हजार रु., बीपीएल परिवार के लिए 5 लाख तक के इलाज की व्यवस्था है। इसके तहत 772 बीमारियों के इलाज पैकेज हैं। जिसमें कैंसर, किडनी, मोतियाबिंद सर्जरी, डिलीवरी, सिजेरियन डिलीवरी प्रमुख हैं।

योजना में 40-60 प्रतिशत हिस्सेदारी
स्वास्थ्य योजना में केंद्र की 60 और राज्य की 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यानी अगर 100 रुपए खर्च हो रहे हैं तो 60 रुपए केंद्र और 40 रुपए राज्य सरकार वहन करेगी। उधर, ई-कार्ड के जरिए होने वाले इलाज की राशि में कई मद निर्धारित हैं। जिसका एक हिस्सा डॉक्टर और स्टाफ को इंसेंटिव के तौर पर मिलता है, जबकि एक हिस्सा अस्पताल के मद में और एक हिस्सा मुख्यमंत्री कोष में जमा होता है।

अभी सरकारी अस्पताल में कोरोना मरीज के इलाज की दर, योजना के तहत-

जनरल वार्ड- 1,500 रुपए प्रतिदिन
आईसीयू- 2,200 रुपए प्रतिदिन

(नोट- इन दरों को रिवाइज किए जाने की प्रक्रिया जारी है।)

अपने साथ अस्पताल लेकर जाए ये दस्तावेज-
अगर, आप संक्रमित हुए हैं और आपको कोविड हॉस्पिटल और कोरोना केयर सेंटर में रखा भर्ती किया जा रहा है, तो अपने साथ इन 2 दस्तावेजों का अवश्य रखें। पहला- राशन कार्ड, दूसरा- आधार कार्ड। आपके पास कार्ड हैं तो सरकार की स्वास्थ्य योजना का पूरा लाभ मिलेगा।

ई-कार्ड बनाने की प्रक्रिया जारी है। सभी जिला सीएमएचओ को निर्देशित किया गया है कि वे अपने-अपने जिलों में कोरोना का इलाज करवाकर जा चुके लोगों को ढूंढे। नए कार्ड जारी करें।
- डॉ. श्रीकांत राजिमवाले, राज्य नोडल अधिकारी, डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना


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