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विश्वकर्म जयंती : छत्तीसगढ़ की अनोखी इमारतें और मंदिर, नक्काशियों व तराशों की बेहतरीन मिसाल, देखें तस्वीरें

Vishwakarma Jayanti : इंजीनियर, शिल्पकार, कारीगर व आर्किटेक्ट माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की आज जयंती है।

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अपने बेहतरीन नक्काशीयों से बनी मिशाल

अपने बेहतरीन नक्काशीयों से बनी मिशाल

रायपुर। Vishwakarma Jayanti : इंजीनियर, शिल्पकार, कारीगर व आर्किटेक्ट माने जाने वाले भगवान विश्वकर्मा की आज जयंती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्माजी ने संसार की रचना की और उसे सुंदर बनाने का काम भगवान विश्वकर्मा को सौंपा। इसलिए विश्वकर्मा को संसार का सबसे पहला और बड़ा इंजीनियर कहा जाता है। राजधानी में कुछ ऐसी इमारतें और मंदिर हैं जो इंजीनियरिंग और डिजाइन की कई बेहतरीन मिसाल मानी जाती हैं। आज हम कुछ ऐसे ही स्पॉट का जिक्र कर रहे हैं।

राजधानी में 48 करोड़ की लागत से डीडीयू ऑडिटोरियम का उद्घाटन 15 अक्टूबर 2017 को हुआ था। आर्किटेक्चर आर.के. पटेल ने बताया, इंटीरियर लुक हमने मॉडर्न प्रपोजल का दिया था जिसे डोम कॉन्सेप्ट पर करने कहा गया। इसकी डिजाइनिंग में लगभग ढाई महीने लग गए थे। यहां 1500 सीटर का मुख्य ऑडिटोरियम, दो कन्वेन्शन हॉल (100 और 60 सीटर), 25 सीटर बैठक के लिए बोर्ड रूम, कैफेटेरिया और प्रदर्शनी हॉल, ग्रीन रूम और एट्रीयम (फॉयर)सुरक्षा की दृष्टि से पूरा भवन सीसीटीवी कैमरा से लैस है।

छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के दौरान गायत्री नगर में जगन्नाथ मंदिर की आधारशिला रखी गई थी। 2003 में मंदिर का निर्माण पूरा। रथयात्रा से पूर्व राज्यपाल, मुख्यमंत्री पूजा करके प्रतिमाओं को सिर पर विराजित करके रथ तक लेकर आते हैं। यात्रा से पूर्व रथ के आगे स्वर्ण से निर्मित झाड़ू से मार्ग को बुहारने की रस्म निभाई जाती है। इसे छेरा-पहरा यानी रथ के आगे सोने से बनी झाड़ू से बुहारने की रस्म कहा जाता है। पुरंदन मिश्रा ने बताया, हमने जगन्नाथ मंदिर पुरी की रिप्लिका बनवाई है जिसे टीएम घाटे और अशोक दुबे ने डिजाइन किया।

राज्य के सबसे पुराने म्यूजियम अष्टकोणीय भवन का निर्माण राजनांदगांव के राजा महंत घासीदास ने 1875 में करवाया था। म्यूजियम के इस भवन का निर्माण इंग्लैंड की महारानी विक्टोरिया के सिर पर सजने वाले ताज के आकार के रूप में बनाया गया था। अष्टकोणीय भवन से जब म्यूजियम को नए भवन में स्थानांतरित किया गया। आर्किटेक्चर टीएम घाटे, सीएस पिल्लीवार, संतोष शुक्ला के गाइडेंस में बिल्डिंग रीनोवेशन कर फोटो गैलरी डेवलप की गई। अंग्रेजों के जमाने में यह शस्त्रागार था। फिर यहां पुरातत्व संग्रहालय स्थापित किया गया।