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रायसेन

जनरल और बच्चों के वार्ड में पंखे भी नहीं

मरीज हुए बेहाल, जिला अस्पताल में व्यवस्थाएं नाकाफी

रायसेनMar 29, 2019 / 07:33 pm

chandan singh rajput

patrika news

Raisen The weather has started showing its color rapidly. If seen, the hot winds of the afternoon on Friday made the start of the hot summer. In the afternoon, the temperature of the heat was 40 degrees. At the same time, people’s health has started getting worse. In such a case, the journal has scanned to save the patients from the heat in the district hospital.

रायसेन. मौसम ने तेजी से अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। देखा जाए तो शुक्रवार को दोपहर की गर्म हवाओं ने भीषण गर्मी के आगाज का अहसास करा दिया। दोपहर को गर्मी का हाल ये था कि तापमान 40 डिग्री पर जा पहुंचा। वहीं इससे लोगों की सेहत भी खराब होने लगी है। ऐसे में जिला अस्पताल में मरीजों को गर्मी से बचाने के लिए पत्रिका ने स्केन किया। जहां स्थिति बदहाल नजर आई। अभी तक अस्पताल प्रबंधन ने गर्मी को देखते हुए मरीजों के लिए कोई इंतजाम नहीं किए।
जिला अस्पताल के प्रसूति केंद्र से लेकर १५ पलंगों वाले शिशु वार्ड और तीन महिला वार्डों, प्रसूति वार्ड व पुरुष वार्डों से पंखे गायब हैं। कुछ वार्डोंं में पंखे बंद हालत में लटके मिले। दोपहर १२ बजे के बाद के समय अस्पताल के पलंगों में भर्ती मरीजों का गर्मी से बुरा हाल था। कुछ मरीज कागज से हवा करते हुए नजर आए। आग से झुलसे मरीज तो गर्मी से तड़पते हुए नजर आए। जबकि इनके लिए एसी नहीं तो कूलर के इंतजाम तो होना ही चाहिए।
जबकि डॉक्टरों के वेटिंग रूम से लेक र आईसीयू व अन्य कुछ वार्डों में एसी लगे हुए हैं। बाकी मरीजों को गर्मी का समाना करना पड़ रहा है। बच्चा वार्ड में पिछले दो साल पहले एयर कंडीशनर लगाए जा चुके हैं। मगर उनके कनेक्शन कराना अस्पातल प्रबंधन ने मुनासिब नहीं समझा है।
15 पलंगों पर 25 बच्चे
ऊपरी मंजिल में नया चिल्ड्रन वार्ड तैयार किया गया है। यहां 15 पलंगों पर शुक्रवार को दोपहर 12 बजे 25 बच्चे भर्ती थे। मगर यहां लगे 8 पंखों में से 3 पंखे चालू नहीं थे। बच्चे गर्मी से बेहाल दिखाई दिए। कई माताएं अपने बच्चों को हाथों से पंखा झुलाती नजर आईं। अपनी भतीजी का इलाज कराने के लिए आईं गुंदरई कॉलोनी की गोमती बाई विश्वकर्मा ने बताया कि उनकी भतीजी को डिहाइड्रेशन हो गया है। डॉक्टर ने ड्रिप लगा रखी है, एसी भी बंद पड़े हुए हैं।
ओपीडी में एक डॉक्टर
शासकीय जिला अस्पताल में अव्यवस्थाएं खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। शुक्रवार को सुबह से लेकर दोपहर तक ओपीडी में 780 मरीजों ने पंजीयन कराए। सुबह 11.30 बजे ओपीडी के बाहर मरीजों की भीड़ नजर आ रही थी। मगर ओपीडी में वर्ग दो के चिकित्सक इसरार अब्बासी अकेले मरीजों का इलाज करते नजर आए। वहीं बच्चा वार्ड में डॉ. गुरिंदर सिंह ही उपचार करते मिले। बाकी सोनोग्राफी सेंटर में डॉ. दीपक गुप्ता प्रसूति महिलाओं की सोनोग्राफी में व्यस्त मिले।
दंत यूनिट में डॉ. विनोद परमार और महिला वार्ड में एक महिला चिकित्सक ही इलाज करती नजर आईं। जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी बीमारी के दौर में मरीजों पर भारी पड़ रही है।
सामान्य मरीजों के साथ भर्ती हैं आग से झुलसे मरीज
आग से जले हुए मरीजों को डॉक्टर सामान्य मरीजों के साथ ही बीच में भर्ती कर देते ेहैं। इससे उन मरीजों में संक्रमण का खतरा बना रहता है। जबकि नियम के मुताबिक बर्न मरीजों के लिए एक अलग से वार्ड बनाया जाना चाहिए। इस वार्ड में एसी भी लगाया जाना चाहिए, ताकि वार्ड का वातावरण हमेशा कूल बना रहे। बर्न वार्ड को अलग बनाए जाने की मांग नागरिकों द्वारा अस्पताल प्रबंधन से लेकर स्वास्थ्य अधिकारयों से लगातार की जा रही है।
मरीजों के परिजन धकेलते हैं स्ट्रेचर
जिला अस्पताल में कहने को भारी भरकम स्वास्थ्य अमला मौजूद है। लेकिन श्ुाक्रवार को मरीजों के परिजन स्ट्रेचर खींचकर एंबुलेंस तक ले जाते हुए नजर आए। इसी तरह ओपीडी में भी परिजन ही उस स्ट्रेचर को धकेलकर चिकित्सक के रूम तक ले गए। जबकि वार्डबॉय अकसर गायब रहते हैं। हैरत की बात तो ये है कि अस्पताल प्रबंधन के अधिकारी भी इस ओर ध्यान नहीं देते हैं।
ट्रामा सेंटर में चिकित्सा सुविधाओं की कमी
सर्जिकल वार्ड और ट्रामा सेंटर में दुर्घटनाएं मारपीट में चोट लगने वाले मरीजों को इलाज कर थोड़ी देर के लिए भर्ती किया जाता है। अस्पताल में ट्रॉमा सेंटर अभी ठीक तरह से चालू नहीं है। यहां एक्सीडेंट और अन्य दुर्घटनाओं से चोटिल होकर आने वाले मरीजों को सीधा माइनर ओटी में भेजा जा सकता है। मगर ट्रामा सेंटर बनकर तैयार होने के बाद भी यहां अभी तक एक भी मरीज को भर्ती नहीं किया जाता है।
अस्पताल के बंद पड़े पंखों को जल्द सुधरवाया जाएगा। एसी को भी चालू कराया जाएगा। अगर वार्डबॉय ने दोबारा ऐसी गलती बरती तो उनके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। ट्रामा सेंटर में सुविधाएं बढ़ाने के लिए हमने सीएमएचओ से लेकर संयुक्त स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल को पत्र लिखे हैं।
– डॉ. यशपाल सिंह बाल्यान, आरएमओ जिला अस्पताल

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