रायसेन/मंडदीप। जनता की गाढ़ी कमाई से बन रहे भोपाल के सिंगारचोली-मुबारकपुर 9 किमी लंबे सिक्सलेन प्रोजेक्ट और दाता कॉलोनी सहित पांच फ्लाईओवर में भ्रष्टाचार की खबरें सामने आने के बाद अब ऐसा ही एक मामला रायसेन से भी सामने आया है।
जहां मंडीदीप से दाहोद की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर बन रहा बेतवा नदी पुल बनने से पहले ही जर्जर हो गया है। इससे पहले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में भी 211 करोड़ के प्रोजेक्ट के तहत बना लालघाटी से एयरपोर्ट रोड तक का एक्सप्रेस-वे एक बारिश तक नहीं सह पाया। जिसके चलते नवनिर्मित गांधीनगर फ्लायओवर बारिश में धंसकने की कगार पहुंच गया है।
बताया जाता है कि नगर के विकास के सिलसिले में शासन जब भी किसी निर्माण कंपनी को कार्य सौंपता है, उस वक्त कार्य की मॉनिटरिंग पर किसी का ध्यान नहीं जाता और यही लापरवाही आगे जाकर भारी परेशानी का कारण बनती है।
betwa river flyover- 01″ src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/08/09/negligence_on_betwa_river_flyover_4950717-m.jpg”>ऐसे समझें मामला… जी हां इसका उदाहरण है कि औद्योगिक शहर से दाहोद की ओर जाने वाली मुख्य सड़क पर बन रहा बेतवा नदी पुल बनने से पहले ही जर्जर हो गया है। निर्माण कार्य के दौरान पुल की रिटेनिंग वॉल में करीब 4 इंच चौड़ा क्रेक नजर आ रहा है। फिलिंग के बाद जब पुल से यातायात शुरू होगा तब यह क्रेक किसी बड़े हादसे का कारण बन सकता है, लेकिन विभागीय अधिकारियों को इसकी जानकारी होने के बाद भी वह इसमें लीपापोती करने में जुट गए हैं।
प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मंडीदीप से वाया दाहोद, नूरगंज होते हुए हाईवे पर नानाखेड़ी जोड़ तक सड़क निर्माण का काम चल रहा है। इस सड़क पर मंडीदीप से करीब दो किमी दूर मूडला गांव से पहले विभाग द्वारा बेतवा नदी पर पुल का निर्माण कराया जा रहा है। करीब एक करोड़ की लागत से बनने वाले इस पुल का निर्माण बारिश से पहले किया जाना था, लेकिन निर्माण एजेंसी की लापरवाही से पुल का निर्माण जून माह में शुरू हो सका।
निर्माण एजेंसी द्वारा निर्माण कार्य जल्दी पूरा करने के चक्कर में विभाग द्वारा तय गुणवत्ता मापदंडों का पालन नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि पुल के एक तरफ की रिटेनिंग वॉल में एक बड़ा क्रेक आ गया। निर्माण एजेंसी ने इसकी अनदेखी करते हुए पुल के दोनों ओर मिट्टी और कोपरा से फिलिंग भी कर दी है, यह स्थिति तब है जब बारिश का दौर चल रहा है और एक घंटे की बारिश के बाद ही बेतवा नदी उफान पर आ जाती है।
अनदेखी पड़ सकती भारी बेतवा नदी पर बन रहे करीब एक करोड़ की लागत के पुल की रिटेनिंग वॉल का क्रेक होना किसी भी दिन बड़े हादसे का कारण बन सकता है। जानकार बताते हैं कि जब पुल पर यातायात शुरू होगा तब पुल के पहले वाहनों का पूरा दबाव रिटेनिंग वाल पर आ जाता है, अगर वॉल कमजोर होगी तो यह कभी भी गिर सकती है। वॉल गिरने से उस क्षेत्र की सड़क धसक जाएगी जो किसी भी हादसे का कारण बन सकती है।
12 करोड़ से हो रहा सड़क निर्माण प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत मंडीदीप से वाया दाहोद, नूरगंज होते हुए हाईवे पर मिलने वाली करीब 17.75 किमी सड़क का निर्माण हो रहा है। करीब 12 करोड़ की लागत से बन रही है इस सड़क का काम सरमन इंडिया रोड मेकर प्रायवेत लिमिटेड कंपनी द्वारा किया जा रहा है। 12 जून 2018 को शुरू हुआ यह निर्माण कार्य दिसम्बर 2019 में पूर्ण किया जाना है। इस सड़क के तहत छोड़ी बड़ी 23 पुलियों का निर्माण किया जाना है।
पुल की रिटेनिंग वॉल में छोटा क्रेक है, इसे ठीक कर लिया जाएगा, हमारी पहली प्राथमिकता पुल पर यातायात शुरू करना है। – केके वर्मा, जीएम पीएमजीएसवाई भोपाल में फ्लाईओवर निर्माण में लापरवाही इंजीनियरों को ही सौंपा जांच का जिम्मा!… वहीं भोपाल में जनता की गाढ़ी कमाई से बन रहे सिंगारचोली-मुबारकपुर 9 किमी लंबे सिक्सलेन प्रोजेक्ट और दाता कॉलोनी सहित पांच फ्लाईओवर में भ्रष्टाचार की रपट वही इंजीनियर तैयार करेंगे जिन पर लापरवाही के आरोप हैं।
दाता कॉलोनी के धंसकने के बाद एनएचएआई और निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी सीडीएस इंफ्रा ने ब्रिज को खोलने का काम चालू कर दिया है। मामले की औपचारिक जांच रिपोर्ट बनाने के लिए एक जांच समिति भी बनाई गई है जो अपनी रिपोर्ट एनएचएआई को सौंपेगी।
MUST READ : 211 करोड़ की लागत वाले प्रोजेक्ट का धंसकने लगा फ्लायओवर, देखें वीडियो इस समिति में खुद एनएचएआई के स्टेट हेड विवेक जायसवाल, सिंगारचोली प्रोजेक्ट के डायरेक्टर एमएल पुरबिया और प्रोजेक्ट इंजीनियर विनाक्षी दहत शामिल हैं। तीनों ही इंजीनियर पिछले एक साल से प्रोजेक्ट देख रहे थे और सीडीएस इंफ्रा को फ्री हैंड देने के लिए इन्हें जिम्मेदार माना जा रहा है। एनएचएआई स्टेट हेड ने खुद के बचाव में इन्हीं लोगों को रिपोर्ट बनाने और सुधार कार्य की जिम्मेदारी सौंपी है।
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