वहीं क्षेत्र की सांसद केन्द्र सरकार में विदेश मंत्री हैं। ये नेता विकास के बड़े-बड़े सपने वर्षों से यहां की जनता को दिखा रहे हैं। विकास और सपनों की हकीकत आमजन के सामने स्पष्ट है। जिले में नौ स्थानों पर शासकीय महाविद्यालय संचालित हो रहे हैं। इनमें से तीन स्थानों पर विज्ञान संकाय के पाठ्यक्रम संचालित नहीं किए जा रहे हैं।
कला और वाणिज्य संकाय की पढ़ाई ही कराई जा रही है। वहीं कक्षा बारहवीं के बाद बीएससी, और स्नातक के बाद एमएससी की पढ़ाई के छात्र-छात्राओं को मंहगी फीस देकर प्राइवेट कॉलेजों में दाखिला लेना पड़ता है या फिर दूसरे शहरों की तरफ रुख करना होता है। ग्रामीण क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को शहर एवं दूसरे जिले में जाकर पढ़ाई करना मुश्किल भरा होता है।
पूरा अंचल उच्च शिक्षा में पिछड़ा
जिला मुख्यालय सहित पूरा अंचल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में लंबे समय से पिछड़ा हुआ है।
हालांकि इन नेताओं ने चुनाव के समय काफी लोक लुभावन वादे कर आमजन को वोट देने पर मजबूर कर दिया था। मगर अब उनके वादे हवाई तीर साबित हो रहे हैं। इसका खामियाजा छात्र-छात्राओं को परेशानी के रूप में भुगतना पड़ रहा है। इसके अलावा जिले के ज्यादातर महाविद्यालयों में नियमित प्रोफेसर पदस्थ नहीं है। किसी कॉलेज में दो प्राध्यापक हैं, तो कहीं पर चार या पांच पदस्थ हैं। बाकी अतिथि विद्वानों के भरोसे पढ़ाई चल रही।
लीड कालेज में नहीं है एमएससी
जिले का अग्रणी कहलाने वाला स्वामी विवेकानंद महाविद्यालय की स्थिति भी इसी तरह की है। इस कॉलेज को पीजी का दर्जा दिया गया है। पर विज्ञान संकाय में पीजी की कक्षा संचालित नहीं हैं। जबकि वर्तमान में यहां पर १८०६ छात्र-छात्राएं अध्ययनरत हैं। यहां विज्ञान संकाय में स्नातक स्तर पर बीएससी की कक्षाएं लगती है। जबकि एमएससी की पढ़ाई के लिए छात्र-छात्राओं को शहर से बाहर या फिर प्राइवेट कालेजों में प्रवेश लेना होता है। स्नातकोत्तर में सिर्फ एमए और एमकॉम की कक्षाएं लगती है।
इसी तरह एलएलएम के लिए भी छात्रों को भोपाल, विदिशा, इंदौर आदि स्थानों पर जाना पड़ता है।
गल्र्स कॉलेज में बीए
जिले का एक मात्र कन्या महाविद्यालय रायसेन में स्थापित है। इस कॉलेज में वर्तमान में १८० छात्राएं दर्ज हैं। कॉलेज में सिर्फ बीए की पढ़ाई होती है। छात्राओं को बीकॉम और बीएससी, एमएससी की पढ़ाई के लिए दूसरे कॉलेजों में जाना पड़ रहा है। जबकि यहां की छात्राएं यह समस्या क्षेत्र की सांसद और विदेश मंत्री सुषमा स्वराज को भी बता चुकी हैं। रायसेन जिला मुख्यालय वन मंत्री डॉ. गौरीशंकर शेजवार के क्षेत्र में शामिल है।
बाहर जाना परेशानी भरा
बारहवीं कक्षा उत्तीर्ण करने के बाद छात्र-छात्राओं को कॉलेज स्तर की शिक्षा को लेकर चिंता लग जाती है। जिले के अधिकतर कालेजों में विज्ञान संकाय की पढ़ाई नहीं होने से शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के छात्रों को संकाय में परिवर्तन करना होता है, नहीं तो भोपाल या अन्य स्थान पर जाकर पढ़ाई करना होता है। घर से बाहर रहकर पढ़ाई करना कई छात्र और छात्राओं के लिए परेशानी भरा होता है। इनमें छात्राओं को प्रतिदिन अपडाउन करना और घर बाहर रहकर पढ़ाई करना मुश्किल भरा रहता है।
छात्र दीपक, शुभम, विनय, मंयक, प्रदीप सिंह, छात्रा गीता, दीपिका, पूजा सिंह, आरती राठौर आदि का कहना है कि एमएससी की पढ़ाई के लिए दूसरे स्थान पर जाना होगा।
जिले के कॉलेजों की स्थिति
लीड कालेज से मिली जानकारी के अनुसार सिलवानी में बीए और बीकॉम की सुविधा है। बीएससी और एमए, एम कॉम संकाय कक्षा शुरू करने की मांग लंबे समय से की जार ही है। वहीं बेगमगंज कॉलेज में स्नातक कक्षाओं में बीए, बीएससी और बीकॉम संकाय की कक्षाएं लगती है। जबकि पीजी कक्षा में सिर्फ एमए की पढ़ाई होती है।
एमकॉम और एमएससी पढऩे के लिए भोपाल, सागर आदि स्थानों पर जाकर छात्र-छात्राओं को पढ़ाई करना पड़ती है। ये दोनों कॉलेज लोक निर्माण मंत्री रामपाल सिंह राजपूत के क्षेत्र में आते हैं। उदयपुरा में बीए संकाय स्वीकृत है।
बीकॉम, बीएससी के लिए बरेली जाना पड़ता है। जिले का सबसे पुराना स्नातकोत्तर महाविद्यालय बरेली में है। यहां पर भी पीजी की अधूरी शिक्षा मिलती है। एमकॉम संकाय की पढ़ाई की सुविधा बरेली कॉलेज में उपलब्ध नहीं है। हालांकि गैरतगंज कालेज में बीए, बीएससी और बीकॉम तीनों संकाय संचालित है।