इस रोग के नियंत्रण के लिए जल निकासी की उचित व्यवस्था करना जरूरी है। धान के खेत के आस-पास की घास व खरपतवार को निकाल देना चाहिए। इसके अलावा इमीडाइक्लोरप्रिड 17.8 प्रतिशत एसएल 100 मिली प्रति एकड़ के मान से छिड़काव करना चाहिए। इसके अलावा पाइमेट्रोजाइन 120 मिली प्रति एकड़ के मान से छिड़काव किया जा सकता है। ब्लास्ट रोग में धान की फसल में तनो की गांठों पर भूरे धब्बे पडऩा तथा पत्तियों पर लंबे धब्बे तथा दानों पर भूरे धब्बे पडऩे लगते हैं। बालियां टूटकर सूखने लगती हैं, जिससे फसल की गुणवत्ता खराब हो जाती है।
इस रोग पर नियंत्रण के लिए ट्राइसाइक्लाजोल 75 प्रतिशत चूर्ण 120 ग्राम प्रति एकड़ के मान से छिड़काव किया जा सकता है। इसके अलावा आइसोप्रोथ्यूलेन 40 ईसी 300 मिली प्रति एकड़ के मान से छिड़काव कर ब्लास्ट रोग पर नियंत्रण किया जा सकता है।
&धान की फसल इस समय गबोट अवस्था व बाली निकलने की अवस्था पर है। इस समय धान की फसल में भूरा फुदका व ब्लास्ट रोग का प्रकोप देखा जा रहा है। इसके लिए किसानों को उपयुक्त दवा का छिड़काव करना चाहिए।
-स्वप्रिल दुबे, कृषि वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केन्द्र