51 रायसेन. ऐतिह
रायसेन. रविवार को शहर में बारिश के रूकते ही मौसम खुशनुमा हो गया। इसके साथ ही रायसेन किले पर सैलानियों की संख्या भी बढऩे लगी है। लेकिन पुलिस सुरक्षा व्यवस्था में अनदेखी के चलते रायसेन किले पर जा जोखिम में डालकर खुलेआम युवा सेल्फी लेते दिखे। जिससे किले पर कोई बड़ा हादसा होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।
पुरातत्व विभाग द्वारा किले की सुरक्षा व्यवस्था में लगाए गार्ड हटाए जाने के बाद किसी भी तरह की रोक टोक नहीं है।इसका फायदा उठाते हुए किले पर युवाओं द्वारा लापरवाही बरतते हुए ऊंची ऊंची इमारतों पर चढ़कर सेल्फी ली जा रही है। जिससे कभी भी हादसा घटित हो सकता है।
बताया जाता है कि किले की सुरक्षा व्यवस्था को बढ़ाने के लिए लगाए गए सीसीटीव्ही कैमरे भी खराब हो गए है। कई कैमरों को किले पर बंदरों ने तहस-नहस कर दिया गया है। वहीं प्राचीन इमारतों पर युवाओं द्वारा अपना नाम लिखने के लिए कुरेदा जा रहा है। जिससे किले की प्राचीन इमारतें खराब होने लगी है। अगर समय रहते पुरातत्व विभाग द्वारा ध्यान नहीं दिया गया, तो युवाओं की हुड़दंग में प्राचीन इमारतों को काफी नुकसान होगा।
हाल ही में जबलपुर कलेक्टर महेशचंद चौधरी ने जबलपुर जिले के भीतर नदी, जलाशय, चट्टान, नौका बिहार करते समय एवं वाहन चलाते समय दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सेेल्फी लेने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है और उल्लंघन होने पर आईपीसी की धारा 188 के अंतर्गत विहित कार्यवाही किए जाने के निर्देश दिए गए है। लेकिन रायसेन में कलेक्टर द्वारा अभी तक ऐसे को आदेश जारी नहीं किए गए है। जिससे जोखिम में जान डालने वालों के खिलाफ स?ती के साथ कार्रवाई की जा सके। रायसेन जिले में किला, महादेव पानी, चिडिय़ा टोल आदि ऐसे पिकनिक स्पॉट है, जहां आए दिन लोग सेल्फी लेने की होड़ में अपनी जान को जोखिम में डाल रहे है।
रायसेन किले पर सेल्फी लेते समय वैसे तो अभी तक कोई हादसा नहीं हुआ, लेकिन प्रशासन यहां भी प्रतिबंध लगाकर हादसे को रोका जा सकता है। गौरतलब है कि जिले में बेगमगंज के वाटर फाल पर पिछले साल हादसे में सेल्फी लेते हुए तीन लोगों की मौत हो चुकी है। रायसेन किला भी जमीन से 500-600 मीटर ऊंचा है। इसलिए यहां सेल्फी लेते समय बड़ी घटना हो सकती है।
भारत सरकार द्वारा भले ही रायसेन किले को वर्ष 1951 में राष्ट्रीय महत्व की धरोहर घोषित कर दिया गया, लेकिन इसके बाद किले की तरफ पलट कर नहीं देखा गया। पुरातत्व विभाग द्वारा किले की देखरेख की जाती है, लेकिन देखरेख सिर्फ चेतावनी बोर्ड तक सीमित होकर रह गई है। जिससे आसामाजिक तत्वों द्वारा धरोहर को नुकसान पहुंचाया जा रहा है। पिछले वर्ष 2016 में किले पर सौंदर्यीकरण के लिए 23 करोड़ रूपए मंजूर किए गए। लेकिन इसके बाद किसी को पता नहीं है कि आखिर किले पर क्या कार्य किए जा रहे है।
विभाग द्वारा भीम बैठिका एवं सांची के लिए सुरक्षाकर्मियों दिए है। रायसेन किले के लिए आठ सुरक्षा कर्मियों की जरूरत है। हमारे द्वारा वरिष्ठ कार्यालय को पत्र लिखा गया है। हम सैलानियों से अपील करते है कि किले पर सेल्फी न लें। ताकि किसी भी हादसे को रोका जा सकता है। - संदीप जयसवाल, किला प्रभारी रायसेन