बारिश के मौसम के लगभग दो माह ही बीतने वाले हैं। जिले भर में तेज और लगातार बारिश अब तक नहीं हो पाई। इस दौरान गर्मी और तेज धूप का असर ज्यादा रहा। इससे फसलों में नमी का असर कम हो गया और फसलें प्रभावित होने की स्थिति में पहुंचने लगी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्रिल दुबे ने बताया कि यदि तीन-चार दिनों में बारिश हो जाती है, तो भी सोयाबीन, धान आदि फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है। मगर बारिश की लंबी खींच फसलों के उत्पादन पर प्रभाव डालेगी। बारिश नहीं होने से धान के रोपे और सोयाबीन के पौधे सूखते जा रहे। वहीं खेतों मेें गर्मी के मौसम की तरह दरारें आने लगी।
सिलवानी. आषाढ़ माह शुरू होने से पहले ही किसान खरीफ सीजन फसलों की बोवनी के लिए तैयारी शुरू कर देते हैं। इसके लिए मंहगा-खाद बीज खरीदा जाता है। मगर यदि बारिश समय पर न हो तो फसलों की पैदावार प्रभावित होती है। इस साल भी इसी तरह की स्थिति बनती जा रही है, जबकि मौसम विभाग के अनुसार अच्छी बारिश के संकेत मिले थे।
आषाढ़ के महीने में तो बारिश अच्छी हुई थी, जिससे किसानों के चेहरे खिले थे। मगर सावन में बारिश की झड़ी नहीं लगी, तो किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी। क्योंकि पूरा सावन माह बीतने को है और अब तक झमाझम बारिश का दौर शुरू नहीं हो सका। ऐसे में सोयाबीन की फसल मुरझाने लगी, पत्ते पीले पड़ते जा रहे। वहीं धान के गढ़े भी पानी के अभाव में सूख रहे। किसानों का कहना है कि पिछले २७ दिनों में एक या दो बार ही हल्की बारिश हुई है।
मानसून की बेरूखी के कारण किसानों के चेहरे पर संकट फि र गहराने लगा है। प्रतिदिन कड़कड़ाती धूप निकलने के बाद दोपहर में आसमान में काले बादल घूमड़ाने लगते हैं, लेकिन बिन बारिश के ही चले जाते हैं।