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रायसेन

सावन की झड़ी का इंतजार, उमस, गर्मी ने किया बेहाल

दिन भर तेज गर्मी का असर रहा, जिससे लोग उमस के कारण बेहाल होते रहे

रायसेनJul 28, 2020 / 12:25 am

chandan singh rajput

सावन की झड़ी का इंतजार, उमस, गर्मी ने किया बेहाल

सावन की झड़ी का इंतजार, उमस, गर्मी ने किया बेहाल

रायसेन. आषाढ़ माह समाप्त होते ही लोगों को यह उम्मीद लगी थी, कि सावन माह में जोरदार बारिश होगी। मगर अब सावन भी बीतने को है और बारिश का दौर शुरू नहीं हो सका। इसके बाद जब भी आसमान पर बादल छाए हुए देखे जाते, लोग बारिश होने की संभावना जाहिर कर देते। मगर सुबह से शाम तक का समय बीत जाता, बारिश नहीं हो रही। दिन भर तेज गर्मी का असर रहा, जिससे लोग उमस के कारण बेहाल होते रहे। हालांकि अभी शनिवार, रविवार को दो दिनों तक पूरे जिले में लॉकडाउन रहा, जिससे लोग घरों में ही रहे, लेकिन इस दौरान गर्मी उसम से काफी परेशान हुए। शहर सहित जिले भर में इसी तरह के हालात बने हुए हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार रविवार को दोपहर में अधिकतम तापमान 32 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि न्यूनतम तापमान 23 डिग्री रहा। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो अभी बारिश के लिए कम दबाव के चलते सिस्टम नहीं बन पा रहा, जिससे सारे दावे फेल होते जा रहे।
फसलों पर पड़ेगी मार
बारिश के मौसम के लगभग दो माह ही बीतने वाले हैं। जिले भर में तेज और लगातार बारिश अब तक नहीं हो पाई। इस दौरान गर्मी और तेज धूप का असर ज्यादा रहा। इससे फसलों में नमी का असर कम हो गया और फसलें प्रभावित होने की स्थिति में पहुंचने लगी। कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्रिल दुबे ने बताया कि यदि तीन-चार दिनों में बारिश हो जाती है, तो भी सोयाबीन, धान आदि फसलों को नुकसान से बचाया जा सकता है। मगर बारिश की लंबी खींच फसलों के उत्पादन पर प्रभाव डालेगी। बारिश नहीं होने से धान के रोपे और सोयाबीन के पौधे सूखते जा रहे। वहीं खेतों मेें गर्मी के मौसम की तरह दरारें आने लगी।
बरसात नहीं होने से मुरझाने लगी फसलें
सिलवानी. आषाढ़ माह शुरू होने से पहले ही किसान खरीफ सीजन फसलों की बोवनी के लिए तैयारी शुरू कर देते हैं। इसके लिए मंहगा-खाद बीज खरीदा जाता है। मगर यदि बारिश समय पर न हो तो फसलों की पैदावार प्रभावित होती है। इस साल भी इसी तरह की स्थिति बनती जा रही है, जबकि मौसम विभाग के अनुसार अच्छी बारिश के संकेत मिले थे।
आषाढ़ के महीने में तो बारिश अच्छी हुई थी, जिससे किसानों के चेहरे खिले थे। मगर सावन में बारिश की झड़ी नहीं लगी, तो किसानों के माथे पर चिंता की लकीरें दिखने लगी। क्योंकि पूरा सावन माह बीतने को है और अब तक झमाझम बारिश का दौर शुरू नहीं हो सका। ऐसे में सोयाबीन की फसल मुरझाने लगी, पत्ते पीले पड़ते जा रहे। वहीं धान के गढ़े भी पानी के अभाव में सूख रहे। किसानों का कहना है कि पिछले २७ दिनों में एक या दो बार ही हल्की बारिश हुई है।
मानसून की बेरुखी
मानसून की बेरूखी के कारण किसानों के चेहरे पर संकट फि र गहराने लगा है। प्रतिदिन कड़कड़ाती धूप निकलने के बाद दोपहर में आसमान में काले बादल घूमड़ाने लगते हैं, लेकिन बिन बारिश के ही चले जाते हैं।

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