कांग्रेस प्रत्याशी मुरारीलाल मीणा एक बार बांदीकुई और तीन बार दौसा से विधानसभा चुनाव जीत चुके हैं तो कन्हैयालाल मीणा भी चार बार बस्सी से विधायक रह चुके हैं। मुरारीलाल मीणा जिले के आलियापाड़ा गांव के मूल निवासी हैं तथा अब दौसा के खान भांकरी रोड पर रहते हैं।
मुरारी ने 2003 में बांदीकुई से बसपा के टिकट पर विधानसभा चुनाव जीता। 2008 में दौसा से जीत दर्ज की। 2013 में उन्हें दौसा से हार मिली, लेकिन 2018 में फिर जीत गए। हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में फिर दौसा से जीतने में मुरारीलाल सफल रहे। गत लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी सविता मीणा कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थी।
वहीं जयपुर ग्रामीण के लूणियावास निवासी कन्हैयालाल मीणा ने राजनीति सरपंच पद से शुरू की थी। 1990 में बस्सी विधानसभा से निर्दलीय विधायक चुने गए थे। 1995, 1998 और 2003 में भी भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। भाजपा ने 2008 में टिकट नहीं दिया तो निर्दलीय चुनाव में उतरे, लेकिन हार गए। 2013 व 2018 में बस्सी विधानसभा से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े, लेकिन हार मिली।
भाजपा में खूब हुई खींचतान
भाजपा में टिकट के लिए दावेदारों के बीच काफी खींचतान चली। इसके चलते नामांकन के आखिरी दिन से एक दिन पहले टिकट की घोषणा की जा सकी। सूत्रों के अनुसार कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ीलाल मीणा अपने भाई जगमोहन मीणा और सांसद जसकौर मीणा अपनी बेटी अर्चना मीणा को टिकट दिलाना चाह रही थी। इनके अलावा अन्य दावेदार भी टिकट के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे थे। अब पार्टी ने कन्हैयालाल का नाम घोषित कर बीच का रास्ता निकाला है।
कांग्रेस में बगावत के सुर
21 मार्च को ही कांग्रेस में शामिल हुए छात्र नेता नरेश मीणा ने बगावती तेवर दिखा दिए हैं। उन्होंने निर्दलीय नामांकन पत्र दाखिल कर कांग्रेस खेमे के लिए चिंता खड़ी कर दी है।
तीन नामांकन पत्र दाखिल
लोकसभा चुनाव 2024 के प्रथम चरण के चुनाव के लिए नामांकन भरने के अंतिम दिन बुधवार को कांग्रेस उम्मीदवार मुरारीलाल मीणा, भारतीय जनता पार्टी उम्मीदवार कन्हैया लाल मीणा और कांग्रेस के बागी नरेश मीणा ने बतौर निर्दलीय प्रत्याशी जिला निर्वाचन अधिकारी नामांकन दाखिल किया। इस दौरान तीनों ही उम्मीदवारों ने अपनी-अपनी जीत का दावा किया।