जहां किया ओडीएफ वहीं के लोग नहीं करते शौचालय का उपयोग
दरअसल, दो से तीन बार बदल चुके जिला प्रशासन के ओडीएफ का लक्ष्य अब दोबारा गांधी जयंती दो अक्टूबर का रखा गया है। इससे पहले कई लक्ष्य शासन के बदल चुके हैं लेकिन न जिला ओडीएफ हो पाया न ही लोग शौचालय का उपयोग कर पाएं।
एंटीरियर के तमाम ग्रामीण अभी भी रोड के आसपास या जंगलों में शौच करने को मजबूर हैं और आंकड़ों के हिसाब से भी ओडीएफ का आंकलन किया जाए तो जिस पंचायत को ओडीएफ किया गया वहीं के लोग शौचालय का उपयोग नहीं करते। उल्लेखनीय है कि ओडीएफ हो चुकी पंचायतों के शौचालय के बेस लाइन सर्वे के हिसाब से है, जिसकी सूची पहले से ही शासन के पास है।
शौचालय बनवाने में सबसे बड़ी चुनौती है सीमित राशि (12,000 रु.) है जिसे शासन सहयोग राशि का दर्जा देती है। जिन वास्तविक जरूरतमंदों को शौचालय बनवाने होते हैं, उनका 12 हजार में शौचालय कैसे बनेगा, यह अंदाजा लगाया जा सकता है। साथ ही बन चुके शौचालय में जागरूकता के अभाव में लोग उपयोग नहीं कर पा रहे, ऐसे में उन्हें प्रेरित करना भी एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा आंकड़ों के अलावा भी जमीनी लेवल पर हकीकत जिम्मेदारों को जानना होगी, तभी बात बनेगी।
शौचालय को लेकर जिले के हालात यह हैं कि पंचायतों में हितग्राहियों ने सिर्फ राशि निकलवाने के लिए ढांचा खड़ा कर दिया और आगे का बनाया ही नहीं? वहीं कई पंचायतें ऐसी हैं, जहां हितग्राही ने शौचालय बनवा तो लिए लेकिन उनमें कहीं कंडे भरे हैं तो कुछ खलियानों में बनें हैं जिनमें भूंसा भरा है। ऐसे कई उदाहरण पत्रिका द्वारा पहले भी एक्सपोज किए जा चुके हैं। बावजूद इसके स्वच्छ भारत मिशन पर जमीनी लेवल पर प्रशासन काम नहीं कर पाया। हालात जस के तस हैं।
खास खास
-622 पंचायतें जिले में।
-15 शौचालय नरसिहंगढ़ में बाकी।
– 200 शौचालय राजगढ़ में शेष।
-25 शौचालय खिलचीपुर में शेष।
-175 शौचालय जीरापुर में शेष।
-ओडीएफ फ्री हुई ब्यावरा, सारंगपुर जनपद।
-02 अक्टूबर 18 को ओडीएफ होना है जिला।
(नोट : जिपं से प्राप्त जानकारी के अनुसार)
हमारी पूरी कोशिश है कि जिले को जल्द से जल्द ओडीएफ करें। सारंगपुर, ब्यावरा ओडीएफ हो चुके हैं। बाकी जगह भी कुछ मात्रा में शौचालय बचे हैं उनके लिए काम अंडर कंस्ट्रक्ट है।
-दीपमाला सिकरवाला, जिला समंवयक, स्वच्छ भारत मिशन, राजगढ़
-ऋषभ गुप्ता, सीईओ, जिला पंचायत, राजगढ़