जानकारी के अनुसार आईओडब्ल्यू ने 98 लाख की लागत से उक्त ब्रिज जरूर बनवाया लेकिन निर्माण के दौरान इस पर पूरा ध्यान नहीं दिया गया। सावधानी नहीं बरत पाने के कारण पहली बारिश में ही ब्रिज दरक गया था। खास बात यह है कि इतनी बड़ी खामी सामने आने के बाद भी कोई ठोस कदम रेलवे ने नहीं उठाया। उसी पुराने ढर्रे पर सारा काम चल रहा है। वहीं, उक्त ब्रिज से एक साल के भीतर की लोगों को डर सताने लगा है।
छोटी जगह के रेल्वे स्टेशन पर मंडल ध्यान नहीं दे पाते। इससे कई बड़े निर्माण में भी खामियां सामने आ जाती है। इसके बाद हमेशा यात्रियों को डर बना रहता है।
– गोकुल प्रसाद यादव, यात्री, टी-स्टॉल, रेल्वे स्टेशन रोड, ब्यावरा
रेलवे द्वारा पूरी सुविधा देने का दावा किया जाता है लेकिन सुरक्षा के मापदंडों पर किसी का ध्यान नहीं जाता। इसीलिए बार-बार ऐसे हालात बनते हैं और हादसे हो जाते हैं।
– विष्णु प्रसाद दांगी, यात्री, ब्यावरा
जब ब्रिज क्षतिग्रस्त हुआ था तो हमने वरिष्ठ अफसरों को अवगत करवा दिया था, इसके बाद यहां आए डीआरएम ने भी इसे देखा और हमसे रिव्यू मांगा था जो कि भेज दिया था। फिहलाल बेसमेंट को ठीक करवा दिया गया है।
– पीएस मीना, स्टेशन मास्टर, ब्यावरा