कई नाम नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में राजगढ़ में एक कालोनाइजर जिसके नाम पर पूरी जमीन है। उसका ही नाम रिकार्ड में गायब है और करीब 90 नामों में से सिर्फ 20 नाम ही रेकॉर्ड में मिले हैं। यह एक उदाहरण है। ऐसे कई लोग परेशान हो रहे हैं।
अब जिन लोगों के नाम रेकॉर्ड में नहीं हैं। भले ही उनके पास समस्त दस्तावेज हैं, लेकिन उन्हें भी सारे दस्तावेजों के साथ ही एक आवेदन देना पड़ रहा है और उस आवेदन की बकायदा तहसील कार्यालयों में सुनवाई होती है। इसमें जमीन के मालिक को पेशियां करनी पड़ रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब भी डॉटा को ट्रांसर्फर या नई प्रक्रिया में शामिल करते हैं तो कास्तकार को ऐसे ही परेशान होना पड़ता है। खुद का नाम जुड़वाने या नामांतरण कराने में किसान को कितनी परेशानी या आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है यह किसी से छिपा नहीं है।