scriptडाटा ट्रांसर्फर होने के साथ ही रेकॉर्ड से उड़ गए हजारों नाम | Thousands of names flown with the record as well as the data transfer | Patrika News
राजगढ़

डाटा ट्रांसर्फर होने के साथ ही रेकॉर्ड से उड़ गए हजारों नाम

जिले के हजारों किसानों के नाम अपनी ही जमीन के मालिकाना हक से गायब हो गए

राजगढ़Dec 03, 2018 / 11:22 pm

Praveen tamrakar

patrika news

Rajgarh Office of Revenue Department

राजगढ़. चुनावी वर्ष में जहां प्रशासन और राजनीतिक दल किसानों के हमदर्द बनने के बड़े-बड़े दावे करते गए, वहीं राजस्व रेकॉर्ड से तकनीकी गड़बडिय़ों के चलते जिले के हजारों किसानों के नाम अपनी ही जमीन के मालिकाना हक से गायब हो गए और अब जब खुद की जमीन की नकल निकलवाने के लिए वे जाते हैं तो उन्हें कई तरह की पेशियां करने के बाद उनका नाम वापस रेकॉर्ड में जुड़ रहा है। बताया जा रहा है कि जिले में दर्ज लाखों एंट्री में से पांच से दस प्रतिशत नाम रेकॉर्ड से गायब हैं।

राजस्व रिकार्ड को ऑफ रेकॉर्ड से ऑनलाइन करने के उद्देश्य से लगभग तीन साल पहले एनआईसी में डॉटा फीड किया गया। लंबे समय तक इसको लेकर न सिर्फ राजस्व अमला बल्कि प्राइवेट लोगों का भी सहारा लेकर रेकॉर्ड दुरुस्त किया गया था, लेकिन करीब छह माह पहले एनआईसी गर्वमेंट की वेबसाइड से यह डॉटा अब वेब जीआइएस की साइड पर ट्रांसर्फर किया गया है। ऐसा क्यों किया गया। यह अलग सवाल है। लेकिन डाटा ट्रांसर्फर करने के साथ ही ऐसे कई नाम रिकार्ड से गायब हो गए। जिनके नाम से जमीन है और उन जमीनों की नकलें व रजिस्ट्री आदि सभी किसान या अन्य लोगों के पास है। इसके बाद भी उनका रेकॉर्ड वेबसाइड पर नहीं मिल रहा।

खातेदार का ही नाम रेकॉड से गायब
कई नाम नहीं मिल रहे हैं। ऐसे में राजगढ़ में एक कालोनाइजर जिसके नाम पर पूरी जमीन है। उसका ही नाम रिकार्ड में गायब है और करीब 90 नामों में से सिर्फ 20 नाम ही रेकॉर्ड में मिले हैं। यह एक उदाहरण है। ऐसे कई लोग परेशान हो रहे हैं।

खुद का नाम जुड़वाने में परेशानी
अब जिन लोगों के नाम रेकॉर्ड में नहीं हैं। भले ही उनके पास समस्त दस्तावेज हैं, लेकिन उन्हें भी सारे दस्तावेजों के साथ ही एक आवेदन देना पड़ रहा है और उस आवेदन की बकायदा तहसील कार्यालयों में सुनवाई होती है। इसमें जमीन के मालिक को पेशियां करनी पड़ रही हैं। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब भी डॉटा को ट्रांसर्फर या नई प्रक्रिया में शामिल करते हैं तो कास्तकार को ऐसे ही परेशान होना पड़ता है। खुद का नाम जुड़वाने या नामांतरण कराने में किसान को कितनी परेशानी या आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है यह किसी से छिपा नहीं है।

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