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राजगढ़

कम बारिश से मार्च में ही पाताल पहुंचा पानी

तेजी से गिर रहे जल स्तर से गर्मियों में हो सकती है परेशानी, राजगढ़ में नेवज अभी भी लबालब

राजगढ़Mar 11, 2019 / 01:18 pm

Bhanu Pratap Thakur

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राजगढ़. पिछले तीन सालों की यदि बात करे तो हर साल औसतन बारिश का आंकड़ा नीचे ही जा रहा है। जिसके कारण इस साल जिले का जल स्तर तेजी से पाताल की तरफ जा रहा है। यदि इसी तेजी से भू-जल स्तर कम होता गया तो गर्मियों खासी परेशानी होगी। कई गांव आज भी ऐसे है, जहां अप्रैल-मई में ही पानी खत्म हो जाता है और दो से चार किमी दूर से वे पानी लाते है। पंचायतों के स्तर पर होने वाली सप्लाई भी कम पडऩे लगती है। सरकारी आंकड़ों को यदि हम देखे तो भू जल स्तर पिछले साल 38.85 मीटर था। जबकि इस साल यह अभी से 39.15 मीटर नीचे पहुंच गया है।
जिसे पीएचई के अधिकारी हो या फिर नगरपालिका ज्यादा मानकर चल रहे है। यही कारण है कि पीएचई ने इस सूखे से निपटने के लिए 400 करोड़ रुपए का बजट भी बनाकर भेजा था। लेकिन इसे स्वीकृति कब मिलेगी। इसका इंतजार है। जबकि सूखे से निपटने और पानी की समस्याओं के समाधान के लिए कलेक्टर निधि निवेदिता भी नगरीय निकायों और जनपदों की बैठक बुला चुकी है।

गिरते जलस्तर से टूट रहा हैंडपंपों का दम-
पिछले साल मार्च माह के शुरूआत में 981 हैंडपंप बंद हो गए थे। जबकि इस साल फरवरी माह की रिपोर्ट में ही 1115 हैंडपंप जलस्तर के कारण बंद है। जो पिछले साल की तुलना में लगभग 150 से भी ज्यादा होते है।

जल सहेजने के नाम पर मिला पुरस्कार-
जिले को जल सहेजने और पानी के जलस्तर को बनाए रखने के लिए हाल ही में राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कार मिला है। जिसमें मोहनपुरा और कुंडालिया जैसी बड़ी योजनाओं के साथ ही गांव-गांव में पानी रोकने के लिए चलाए अभियान शामिल है।

 

 

राजगढ़ में नहीं होगी परेशानी-
जिले की यदि बात करे तो ब्यावरा में आज भी प्रतिदिन नल नहीं आते है। जबकि खिलचीपुर में भी पानी की समस्या मंडराने लगी है। नरसिंहगढ़ और सारंगपुर में नल हर दिन आ रहे है। लेकिन पानी की सप्लाई के समय में कमी कर दी गई है। जबकि राजगढ़ में अभी भी पहले की तरह ही नल आ रहे है और मोहनपुरा के साथ ही राजगढ़ में बने बैराज में भरपूर पानी होने से शहर में पानी की समस्या न के बराबर है। लेकिन राजगढ़ के ग्रामीण अंचल में अभी से यह समस्या पनपने लगी है। क्योंकि यह क्षेत्र पथरीला है।

पानी की कमी फिर भी बोर पर प्रतिबंध नहीं-
आगामी समय में पेजयल संकट को देख प्रशासन द्वारा बोर खनन पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अब यह प्रतिबंध हटाते हुए ३१ मार्च तक इसकी अनुमति दे दी गई है। ऐसे में वर्तमान में बड़ी संख्या में लोग बोर खनन करा रहे है। जिससे भू-जल स्तर और नीचे गिर रहा है।
जिले में आधे निकायों में अप्रैल से ही पानी की समस्या आने लगती है। जिनमें कुरावर, छापीहेड़ा, माचलपुर जैसे निकाय शामिल है। बाद में लगभग सभी जगह टेंकरों से सप्लाई होती है। जिले में मुख्यत: नदियों और ट्यूबवेल आदि से जुड़े पानी के स्त्रोत पर पेयजल व्यवस्था निर्भर रहती है।
आरपी नायक, डूडा राजगढ़

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