शिक्षकों की कमी का मसला शासन स्तर का है। हालांकि शिक्षकों की कमी से पढ़ाई प्रभावित न हो इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा स्थानीय स्तर पर व्यवस्था करने की बात कह रहा है। उनकी माने तो गांव या क्षेत्र के पढ़े-लिखे युवाओं को स्कूलों में शिक्षा मित्र के रूप में तैनात कर पढ़ाई कराई जा रही है, लेकिन यह व्यवस्था भी पर्याप्त साबित नहीं हुई है। यही कारण है शिक्षा विभाग की चिंता बढ़ी हुई है। विभाग के ही अफसरों की माने तो वनांचल में प्राथमिक व मीडिल स्कूल की शिक्षा व्यवस्था में बहुत सुधार की जरूरत है। इसके लिए सर्वप्रथम पर्याप्त शिक्षकों की जरूरत है।
शिक्षा अधिकार अधिनियम का पालन नहीं शासन ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम ६ से १४ वर्ष तक सभी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने कानून बनाया है। इसके लिए ३५ बच्चों के लिए एक शिक्षक का नियम भी बनाया गया है, लेकिन जिले में ऐसे कई स्कूल हैं, जहां इसका पालन नहीं हो रहा है।
बोर्ड परीक्षा परिणाम पर पड़ सकता है असर हाई व हायर सेकंडरी स्कूलों की बात करें तो उन्नयन हुए स्कूलों में कठिन विषयों के शिक्षकों की कमी बनी हुई है। पूरा शिक्षा सत्र निकल गया है, लेकिन कुछ स्कूलों में दो-तीन शिक्षक ही सभी विषयों की पढ़ाई करा रहे हैं। उन्नयन हुए स्कूलों में मीडिल स्कूल के शिक्षक ही व्यवस्था संभाल रहे हैं, जैसे-तैसे सत्र बीतने वाला है। अब परीक्षा सर पर मार्च में बोर्ड परीक्षा होगी।
विभाग चला रहा अभियान बोर्ड परीक्षा परिणाम में सुधार व माध्यमिक शिक्षा मंडल के टॉप १० में जगह सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग मेधावी बच्चों को विशेष कोचिंग देने का दावा कर रहा है, लेकिन इसमें कितने सफल होते हैं, यह परीक्षा परिणाम में ही पता चल पाएगा।
सुधार के लिए प्रयास किया जा रहा है जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल का कहना है कि एक शिक्षकीय व्यवस्था वाले स्कूलों में पढ़ाई स्तर थोड़ी चिंतनीय है। यहां पढ़े-लिखे युवाओं को शिक्षा मित्र के रूप में तैनात कर कोर्स पूरा कराया जा रहा है। सुधार के लिए हर संभव प्रयास किया जा रहा है।