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राजनंदगांव

CG Religion: दुनिया की ये एक मात्र ऐसी गुफा जिसका द्वार साल में खुलता है केवल एक बार, अंदर विराजते हैं देवों के देव…

Chhattisgarh Religious Places: मंडीप खोल गुफा में भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं ने आधी रात से ही पहाड़ी पर डेरा डाल दिया था।

राजनंदगांवMay 13, 2024 / 12:18 pm

Kanakdurga jha

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India’s Most Famous Temple In Chhattisgarh: राजनांदगांव के पैलीमटा में मंडीप खोल गुफा है जहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं ने आधी रात से ही पहाड़ी पर डेरा डाल दिया था। तड़के लोगों ने श्वेत गंगा (गुफानुमा कुंड) में नहाने के बाद गुफा में प्रवेश कर शिवलिंग का दर्शन किए। शाम तक करीब 20 हजार श्रद्धालुओं ने शिवलिंग का दर्शन कर पूजा-अर्चना किए।
आसपास गांव सहित पूरे जिलेभर व मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र से भी श्रद्धालु यहां पहुंचे थे। इससे पहले परम्परा अनुसार अक्षय तृतीया के पहले सोमवार को सुबह 8 बजे ठाकुरटोला राजपरिवार के लाल रोहित सिंह पुलस्तय ने राजपुरोहित साथ शिवलिंग की पूजा-अर्चना के लिए गुफा में प्रवेश किया। इसके बाद इसे लोगों के दर्शन के लिए खोला गया। जंगली जानवरों सहित अन्य जीव जंतुओं को भगाने के लिए यहां पटाखा भी फोड़ा गया।
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जिला मुख्यालय से करीब 80 किमी की दूरी तय कर इस रहस्यमयी गुफा में ‘पत्रिकाÓ टीम भी पहुंची। लोगों का जत्था दुर्गम रास्ते होकर गुफा की ओर बढ़ते दिखा। मोटर साइकिल सहित अन्य वाहनों में लोग गुफा की ओर बढ़ रहे थे। पथरीले व कच्चे रास्ते पहाड़ी से बहने वाली नदी को अलग-अलग जगहों पर १६ बार पार करते हुए हम भी गुफा तक पहुंच चुके थे।
यहां श्वेत गंगा कुंड में लोग डुबकी लगाने के लिए कतार पर खड़े थे। बताया गया कि इस कुंड में पूरे साल भर पानी निकलते रहता है। यहां डुबकी लगाने से कुष्ट रोग दूर होता है, ऐसी मान्यता है। कुंड में ‘पत्रिकाÓ टीम भी उतरी। बेहद ठंडा पानी। कुछ दूर जाने पर घूप अंधेरा। कुंड में करीब तीन से चार फीट तक पानी भरा था, जो धीरे धीरे बह रहा था।
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यहां स्नान के बाद हम मंडीपखोल गुफा के मुख्य द्वार की ओर बढ़ चले। इस बीच गुफा तक लोगों का तांता लगा रहा। गुफा में प्रवेश के लिए भारी भीड़ जुटी थी। जैसे-तैसे हम भी प्रवेश कर लिए। गुफा में घुसते ही अंदर तीन से चार रास्ता दिखाई दिया। यहां तापमान करीब १४-१८ डिग्री रहा होगा। बेहत शीतल और शांति को अनुभव हुआ। गुफा का छोटा सा सफर बेहद आनंदित रहा।
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बताया गया कि यहां परिसर में पांच दिनों से बालकदास का प्रवचन कथा चल रहा था। गुफा से शिवलिंग का दर्शन कर आने वाले श्रद्धालुओं के लिए मंदिर समिति व ग्रामीणों द्वारा महाप्रसादी भंडारे का आयोजन किया गया था। मंदिर समिति के सदस्यों ने बताया कि भोजन बनाने व पीने के लिए साफ पानी गंडई व छुईखदान से टैंकर के माध्यम से लाना पड़ता है।
पूरे साल भर में एक दिन अक्षय तृतीया के बाद पहले सोमवार को खुलने इस रहस्यमयी गुफा में शिवलिंग का दर्शन व पूजा अर्चना करने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। पूरे रास्ते भर लोगों की भीड़ रहती है। ऐेसे में भीड़ में सुरक्षा को लेकर पुलिस प्रशासन या मंदिर समिति द्वारा कोई पुख्ता इंतजाम देखने को नहीं मिला। पूरे मार्ग व परिसर में पुलिस का कोई जवान मौजूद नहीं रहा। वहीं 40 डिग्री तापमान में पहुंच पथरीले व कच्चे रास्ते से पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की स्वास्थ्य सेवा के लिए भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गई थी।

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