राजनांदगांव में जून का तीसरा और चौथा पखवाडा़ बेहद भारी पड़ा था। लखोली क्षेत्र के एक बुजुर्ग की मौत के बाद उसकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद यहां लगातार कोरोना के केस आने शुरु हो गए थे। कुछ दिनों बाद उसके पिता की भी एम्स रायपुर में कोरोना से मौत हो गई थी। कुल मिलाकर लखोली का सेठीनगर और इससे लगा पूरा क्षेत्र बड़ा हाटस्पॉट बन गया था लेकिन अब कोरोना का कहर यहां कम हो रहा है। बड़ी राहत की बात है कि शहर और लखोली क्षेत्र से गए ज्यादातर सैंपल अब नेगेटिव आ रहे हैं और इसी के साथ अच्छी खबर यह भी है कि इस इलाके के मरीज ठीक होकर डिस्चार्ज भी हो रहे हैं।
सारे सैंपल आए नेगेटिव स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी के अनुसार राजनांदगांव से भेजे गए सैंपल में से शनिवार को 616 सैंपल की रिपोर्ट प्राप्त हुई है और सभी सैंपल नेगेटिव आए हैं। यानि आज एक भी पाजिटिव केस नहीं आया है। यह यहां के लिए बडी़ राहत की बात है।
यहां के मरीज हुए डिस्चार्ज एक ओर शनिवार को एक भी पाजिटिव केस नहीं आया, तो दूसरी ओर यहां के 23 कोरोना मरीज ठीक होने के बाद आज डिस्चार्ज किए गए हैं। राजनांदगांव के पेंड्री स्थित स्व. अटल बिहारी वाजपेयी स्मृति मेडिकल कालेज अस्पताल से आज शासकीय मेडिकल कालेज के एक डाक्टर सहित लखोली के 11, खैरागढ़ क्षेत्र के 3, डोंगरगढ़ के 1, जनता कालोनी के 1, सिंगदई चौक के 1, गठुला के 1, घुमका के 1, न्यू सिविल लाइन के 1, पुराना ढाबा के 1 और शहर का एक अन्य मरीज को डिस्चार्ज किया गया है। इन ठीक होने वालों में बीते दिनों संक्रमित हुए अपर कलेक्टर के स्टेनो भी शामिल हैं।
इस लापरवाही ने डाला मुसीबत में लॉकडाउन खुलने के बाद बार्डर में प्रवासी मजदूरों की भीड़ बढऩे और इसके बाद उनको क्वारंटाइन करने में प्रारंभिक ढिलाई के साथ ही प्रशासन की मनाही के बाद भी रेड जोन से आने वाले मालवाहक गाडिय़ों से शहर के भीतर दिन भर लोडिंग अनलोडिंग करने के चलते शहर में एकाएक कोरोना के मामले बढ़े। कोरोना मरीज मिलने के बाद भी पूरे इलाके को पूरी तरह बंद नहीं करने के कारण शहर के अन्य हिस्सों में भी केस निकलने शुरु हो गए।
ये काम जिससे शहर उबर रहा मुसीबत से राजनांदगांव में कोरोना के मामले नहीं के बराबर होने के बाद भी जिला प्रशासन ने पेंड्री स्थित मेडिकल कालेज अस्पताल में कोविड यूनिट तैयार कर रखा था और वहां कोरोना मरीजों को लेकर सारी व्यवस्थाएं कर ली गई थीं। यही वजह रही कि राजनांदगांव में जब कोरोना मरीज मिलने लगे तो यहां के मरीजों को एम्स या दूसरी जगह भेजने की जरूरत नहीं पडी़ और यहीं मरीज ठीक होने लगे। बडी़ संख्या में मरीज मिलने और कोरोना के खिलाफ फ्रंट लाइन पर काम करने वाले अमले के संक्रमित होने के बाद भी चिकित्सा स्टाफ ने संयम से काम लिया और यहां लगातार मरीज ठीक हो रहे हैं।