सड़क निर्माण के बारे में गोपलीनचुवा, खुर्सीटिकुल, दनगढ़, गोटाटोला, सोमाटोला, खडग़ांव के ग्रामीणों ने बताया कि सड़क को खराब तरीके से बनाया जा रहा है। ठेकेदार इसमें मुरुम की जगह मिट्टी डाल रहे हैं जिसके कारण सड़क ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगी। आने वाले ६ माह में ही बारिश की वजह से सड़क पूरी तरह उखड़ भी सकती है। उसके बाद ग्रामीणों को पुराने खस्ताहाल सड़क पर चलने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। खराब सड़क निर्माण की शिकायत निर्माण कार्य में लगे कर्मचारियों से की गई लेकिन वे ग्रामीणों से कहते हैं कि हमे जैसा आर्डर मिलता है हम वैसा काम कर रहे हैं। इसके लिए हमारे बड़े अधिकारियों से बात करो, ऐसा बोलकर कर्मचारी भी अपना पल्ला झाड़ लेते हंै।
बन रहे सड़क निर्माण की गुणवत्ता को देखकर बिहरीकला, गोपलीनचुवा, खुर्सीटिकुल, दनगढ़, सोमाटोला के परदेशी राम, बाबी वारके, राजेश मनेश, निर्मल बीपतराम, पवारसिंग, काजू राम, दऊआ, परमेश्वर, रामप्रसाद, राकेश पना, धुरसिंग, राहुल, बिसेन सहित अन्य ग्रामीणों में काफी नाराजगी बनी हुई है। उनका कहना है कि कितने सालों के बाद खराब सड़क का कायाकल्प किया जा रहा है इसके लिए शासन के द्वारा करोड़ों रुपए खर्च कर सड़क बन रही है। सड़क बन जाने से आवागमन में और सुविधा होगी व निर्माण हो जाने पर आवागमन और अधिक बढ़ जाएगा लेकिन खराब स्तर के सड़क निर्माण से सड़क ज्यादा दिनों तक टिक नहीं पाएगी। इस वजह से ग्रामीणों में नाराजगी है। शिकायत के बावजूद सड़क निर्माण की गुणवत्ता को लेकर अधिकारियों के द्वारा कोई उचित कार्रवाई नहीं की गई तो ग्रामीणों ने लामबंद होकर सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है।
ग्रामीणों का यह भी आरोप है कि जब से सड़क निर्माण का कार्य प्रारंभ हुआ है तब से सड़क निर्माण संबंधित विभाग के इंजीनियर नियमित निर्माण कार्य को देखने नहीं आ रहे हैं जिसके चलते सड़क निर्माण में मनमानी की जा रही है। 38 किलोमीटर की सड़क पर इसी तरह मिट्टी डालते रहे तो सड़क की गुणवत्ता और भी बदतर हो जाएगी इससे अंदाजा लगाया जा सकता है।
सड़क निर्माण में हो रही गड़बड़ी को लेकर जानकारी लेने के लिए एसडीएम सीपी बघेल से पत्रिका ने जब फोन पर बात की तो उन्होंने फालतू चीजें मीडिया के लोग छापते हैं कहकर फोन काट दिया।
रेसीडेंट इंजीनियर, गिरीश शर्मा ने कहा कि हमारे द्वारा मुरुम की लैब टेस्टिंग की जाती है। टेस्ट पास होने पर ही उसे सड़क निर्माण के लिए डाला जाता है।