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राजसमंद

कुम्भलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में पहली बार दिखा पेंटेड स्पर फाउल

Wildlife sanctuary Kumbhalgarh हमारी जैव विविधता के लिए अच्छा संकेत
 

राजसमंदJan 16, 2024 / 10:09 pm

jitendra paliwal

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कुंभलगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में एक प्रजाति का पक्षी पहली बार देखा गया है। ग्रे जंगल फाउल या जंगली मुर्गे के लिए प्रसिद्ध इस सेंचुरी में पेंटेड स्पर फाउल देखा गया है।

आमतौर पर यहां अरावली रेड स्पर फाउल भी अच्छी संख्या में दिखता है। वहां पेंटेड स्पर फाउल का दिखना कुंभलगढ़ और यहां की बायोडायवर्सिटी के लिए एक शुभ संकेत है। पेंटेड स्पर फाउल के यहां से देखे जाने बारे में कई बार बातें हुई, लेकिन दस्तावेजी रिकॉर्ड अभी तक नहीं था।
उदयपुर पक्षी महोत्सव के दौरान पक्षी विशेषज्ञ अनिल रोजर्स के नेतृत्व में एक टीम राजसमंद आई थी। इस टीम ने कुंभलगढ़ के आरेट क्षेत्र में ट्रेकिंग की, तब दल के सदस्यों को आरेट गेट से लगभग 2 किलोमीटर नीचे की ओर जंगल में पेंटेड स्पर फाउल का जोड़ा नजर आया।
रोजर्स ने बताया कि कुंभलगढ़ को टाइगर रिजर्व को एनटीसीए की सैद्धांतिक अनुमति मिल चुकी है। यहां कुंभलगढ़ वन्यक्षेत्र में पेंटेड स्पर फाउल का दिखना किसी आश्चर्य से कम नहीं है। रोजर्स ने बताया कि पेंटेड स्पर फाउल रणथम्भौर और सरिस्का में तो दिखता है, मगर कुंभलगढ़ से अभी तक इसकी ऑफिशियल रिकॉर्डिंग नहीं थी।
तीतर प्रजाति का ऐसा है यह प्रक्षी
यह तीतर परिवार का एक पक्षी है, जो मुख्य रूप से प्रायद्वीपीय भारत में चट्टानी पहाड़ी और झाड़ीदार जंगलों में पाया जाता है। नर अधिक चमकीले रंग के होते हैं और सफेद रंग में स्पष्ट रूप से देखे जाते हैं। यह झाडिय़ों में जोड़े या छोटे समूहों में पाया जाता है। इस प्रजाति का पक्षी राजस्थान में अरावली पर्वतमाला के कुछ हिस्सों, मध्य भारत की पहाडिय़ों (पचमढ़ी) और दक्षिणी भारत की चट्टानी पहाडिय़ों और शुष्क वन क्षेत्रों में पाया जाता है। इन्हें आंध्रप्रदेश के पूर्वी घाट के नल्लामाला क्षेत्र में भी दर्ज किया गया। यह जामुन के साथ-साथ कीड़े और फूल (मधुका लोंगिफोलिया) खाते हैं। सुबह-सुबह जलाशयों में जाते हैं। इनका प्रजननकाल जनवरी से जून होता है। यह एकविवाही माना जाता है।

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