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राजसमंद

पहले उत्पादन में कमी अब बेभाव हुआ कपास

औसत से डेढग़ुणा ज्यादा हुई बारिश से खराब हुई थी फसलअब किसानों को नहीं मिल रहे कपास के उचित दाम

राजसमंदJan 21, 2020 / 07:38 pm

Aswani

पहले उत्पादन में कमी अब बेभाव हुआ कपास

पहले उत्पादन में कमी अब बेभाव हुआ कपास

अश्वनी प्रतापसिंह @ राजसमंद. जिले में इसबार औसत से करीब डेढग़ुणा ज्यादा हुई बारिश का दर्द अभी भी किसानों का पीछा नहीं छोड़ रहा। पहले तो खेतों पर पानी भर जाने से फसलें खराब हो गईं, अब जो बची हैं उनके भाव नहीं मिल रहे। मामला कपास की फसल का है। अधिक बारिश के कारण फसल की गुणवत्ता कमतर हो गई, जिससे व्यापारी कपास की खरीदारी करने से कतरा रहे हैं, जिसके चलते जिले के अधिकतर किसानों को घर कपास के ढेर लगे हैं। जो व्यापारी आता है वह औने-पौने दाम में फसल की मांग कर रहा है। जिले में साढ़े ६ सौ मिमी औसत बारिश होती है लेकिन इस बार बारिश १००० मिमी से ज्यादा हुई, जिसके चलते खरीफ की फसल में खासा खराबा हुआ। मक्का, उड़द, तिली व कपास की फसलें सबसे ज्यादा प्रभावित हुईं।

आधा हुआ उत्पादन
मैंने 10 बीघा में कपास की खेती की। लेकिन फसल में रोग लग जाने से आधा उत्पादन भी नहीं हुआ। उसके बाद भी कपास का उचित मूल्य नहीं मिलने से अभी तक कपास घर पर ही पड़ा है। सरकार द्वारा कपास का समर्थन मूल्य कम से कम साढे 6 से 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल किया जाना चाहिए। जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिल सके। कपास नहीं बिकने से क्षेत्र के सभी किसान आर्थिक संकट झेल रहे हैं।
-कालूराम जरड़, किसान, पीपली अहिरान
बुवाई का खर्च भी नहीं लौट रहा
मैंने २ बीघा में कपास की खेती की। लेकिन फसल बीमारी की चपेट में आ जाने से मुझको हकाई, खाद-बीज, पिलाई, दवाई आदि का खर्चा भी नहीं मिला है। फसल का बीमा करवाने के बाद भी सरकार द्वारा कुछ भी राहत नहीं मिलने से किसान का कोई धणी-धोरी नहीं है। जिले के सैकड़ों गांवों के किसानों ने सैंकड़ों बीघा में कपास की खेती की। बीमारियों की रोकथाम के लिए समय समय पर उपचार करने के बाद भी कपास की फसल का आधा उत्पादन ही होने से किसानों की कमर टूट गई है।
नारायणलाल गाडरी, किसान

अधिक वर्षा से खराब हुई फसल
इसबार बारिश ज्यादा होने से शुरुआत से ही कपास की फसल खराब हो गई थी, जिससे कपास की गुणवत्ता में कुछ कमी आ गई। हालांकि ऐसा भी खराब नहीं हुआ है कि उसे खरीदा न जाए लेकिन इसके बाद भी हमें कपास का उचित भाव नहीं मिल रहा। पिछले वर्ष साढ़े पांच हजार से लेकर सवा छह हजार रुपए तक कपास बिका था, इसबार कोई ५ तो कोई सवा ५ हजार रुपए प्रति क्विंटल मांग रहा है।
-लादूराम, किसान
लगातार बारिश आने, और पर्याप्त सूरज की रोशनी नहीं मिलने से कपास के धागे की क्वालिटी खराब हुई है। हालांकि कुछ इलाके में अच्छी पैदावार भी है।
-डॉ. भूपेंद्रसिंह राठौड़, कृषि उपनिदेशक राजसमंद

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