आधा हुआ उत्पादन
मैंने 10 बीघा में कपास की खेती की। लेकिन फसल में रोग लग जाने से आधा उत्पादन भी नहीं हुआ। उसके बाद भी कपास का उचित मूल्य नहीं मिलने से अभी तक कपास घर पर ही पड़ा है। सरकार द्वारा कपास का समर्थन मूल्य कम से कम साढे 6 से 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल किया जाना चाहिए। जिससे किसानों को थोड़ी राहत मिल सके। कपास नहीं बिकने से क्षेत्र के सभी किसान आर्थिक संकट झेल रहे हैं।
-कालूराम जरड़, किसान, पीपली अहिरान
मैंने २ बीघा में कपास की खेती की। लेकिन फसल बीमारी की चपेट में आ जाने से मुझको हकाई, खाद-बीज, पिलाई, दवाई आदि का खर्चा भी नहीं मिला है। फसल का बीमा करवाने के बाद भी सरकार द्वारा कुछ भी राहत नहीं मिलने से किसान का कोई धणी-धोरी नहीं है। जिले के सैकड़ों गांवों के किसानों ने सैंकड़ों बीघा में कपास की खेती की। बीमारियों की रोकथाम के लिए समय समय पर उपचार करने के बाद भी कपास की फसल का आधा उत्पादन ही होने से किसानों की कमर टूट गई है।
नारायणलाल गाडरी, किसान
अधिक वर्षा से खराब हुई फसल
इसबार बारिश ज्यादा होने से शुरुआत से ही कपास की फसल खराब हो गई थी, जिससे कपास की गुणवत्ता में कुछ कमी आ गई। हालांकि ऐसा भी खराब नहीं हुआ है कि उसे खरीदा न जाए लेकिन इसके बाद भी हमें कपास का उचित भाव नहीं मिल रहा। पिछले वर्ष साढ़े पांच हजार से लेकर सवा छह हजार रुपए तक कपास बिका था, इसबार कोई ५ तो कोई सवा ५ हजार रुपए प्रति क्विंटल मांग रहा है।
-लादूराम, किसान
-डॉ. भूपेंद्रसिंह राठौड़, कृषि उपनिदेशक राजसमंद