आरोपी ने इस घटनाक्रम को अंजाम देकर अपने घर और परिवार के साथ ही खुद के जीवन को खराब किया है। इस प्रकार का कृत्य करना असंवैधानिक है।
– सम्पत लढ्ढा, एडवोकेट हर व्यक्ति को धारा 357-ए में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है। लेकिन इस घटना से और सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल कर भड़काऊ बयान देना धारा 153-ऐ के अनुसार यह एक हिंसात्मक कार्य था, जो कि पूरी तरह गलत है।
– बसंतीलाल बाबेल, पूर्व न्यायाधीश
इस प्रकार की घटना को अंजाम देना गलत है। अगर कोई मनमुटाव भी था, तो कानून का सहारा लिया जा सकता था। ऐसे कृत्य का समाज पर बुरा असर पड़ेगा।
– बाबूलाल खारोल, सरपंच, राज्यावास
हत्या का आरोपी किसी संगठन या संघ का सदस्य नहीं है। उसने शहर में अशांति फैलाकर भाई-चारे को खत्म करने की कोशिश की है। कानून सख्त कार्रवाई कर कड़ी से कड़ी सजा दे, ताकि शहर में शांति बनी रहे।
– भगवत शर्मा, जिला सचिव, इतिहास संकलन समिति (आरएसएस)
हत्या के आरोपी द्वारा सोशल मीडिया पर वायरल किए वीडियो मेंं उसका बयान पूरी तरह तथ्यहीन है। उसका बयान आपसी भाईचारे और सौहार्द की भावना को ठेस पहुंचाने वाला है।
– प्रकाश वैष्णव, सामाजिक कार्यकर्ता
यह जघन्य अपराध की श्रेणी में आता है। मानवीय समाज पर बहुत बड़ा धब्बा है। यह कृत्य मानवता के विरुद्ध है। इस पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। इस प्रकार के लोगों को बख्शना नहीं चाहिए।
– दिनेश श्रीमाली, सामाजिक कार्यकर्ता