scriptचैत्री गुलाब के उत्पाद व मोलेला की मृण कृतियां बदल सकती है बाजार की तस्वीर | Rose products and molela's potency may change market picture | Patrika News
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चैत्री गुलाब के उत्पाद व मोलेला की मृण कृतियां बदल सकती है बाजार की तस्वीर

बिल्ड अप इंडिया – शृंखला- मोलेला व खमनोर में पीढिय़ों पुराने हैं रोजगार के ये प्रकल्प- हल्दीघाटी (राजसमंद) में इन कुटीर उद्योगों को सरकारी प्रोत्साहन की जरूरत

राजसमंदMay 28, 2020 / 08:09 pm

Rakesh Gandhi

चैत्री गुलाब के उत्पाद व मोलेला की मृण कृतियां बदल सकती है बाजार की तस्वीर

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गिरीश पालीवाल
खमनोर. हल्दीघाटी का चैत्री गुलाब दुनियाभर के गुलाब की किस्मों में एक अलग प्रकृति का फूल है। इसका रंग-रूप, सुगंध व गुण बहुत विशिष्ट है। पीढिय़ों से कई स्थानीय परिवार चैत्री गुलाब की खेती कर फूलों से गुलाब जल, गुलकंद, ईत्र, शर्बत आदि उत्पाद बना और बेच रहे हैं। चैत्री गुलाब के अलावा सौंफ, इलायची, पान, नींबू, खसखस सहित कई तरह के शर्बत भी तैयार किए जाते हैं। यही नहीं, यहां जामुन, तुलसी व अजवाइन के अर्क भी कुटीर उत्पादों में खास जगह बनाए हुए हैं।

ई-कामर्स प्लेटफॉम से बदल सकती है तस्वीर
चैत्री गुलाब की खेती व इससे बनने वाले उत्पादों को सरकारी प्रोत्साहन मिले तो हल्दीघाटी-खमनोर इलाका शर्बत और हर्बल उत्पाद का कई गुना बड़ा हब और सैंकड़ों नए परिवारों की आजीविका का आधार बन सकता है। उत्पाद की भरोसेमंद क्वालिटी, सही दाम और ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर देशभर में ऑनलाइन डिलीवरी जैसे तरीके उन्नति के नए और कारगर विकल्प हो सकते हैं। ये विकल्प उत्पादकों में छाई निराशा को दूर करने और बेरोजगारी के दौर में नए जुडऩे वालों लोगों का जीवन स्तर बदलने की ताकत रखते हैं।
मोलेला में शिल्पबाड़ी बने तो मिले पहचान
मोलेला साढ़े तीन सौ साल पुरानी पारंपरिक मृण शिल्पकला के लिए जाना जाता है। स्थानीय कलाकारों ने समय के साथ लोक देवी-देवताओं की मूर्तियां गुजरात, राजस्थान और मध्यप्रदेश के आदिवासियों को बेचने के अपने दायरे को तोड़ते हुए आधुनिक शिल्पकला को अपनाया। इससे वे न केवल आर्थिक प्रगति कर पाए, बल्कि इस गांव के कई कलाकारों ने राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अवार्ड हासिल किए और हुनर को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया। गांव के कई कुंभकार परिवार मिट्टी के कप-प्लेट, गिलास, विविध प्रकार के कुल्हड़, पानी के जग, दीपक, परिंडे, घोंसले व घरों के सजावटी सामान भी बनाते हैं। शिल्पकारों और कुंभकारों की बनाई कृतियां रेस्टोरेंट, होटलों व हेरिटेज भवनों तक की शोभा बढ़ाती है। इसी से वे मुनाफा भी कमाते हैं। मोलेला में यदि एक ओर शिल्पबाड़ी तो दूसरी ओर मिट्टी से बने बर्तन और सजावटी कृतियों का ग्रामीण बाजार तैयार किया जाए और नए परिवारों व रूचिकर लोगों को भी इस कार्य में जोड़कर प्रशिक्षित किया जाए, तो मृण कलाप्रेमियों का पर्यटन बढ़ेगा। इससे गांव के अन्य वर्गों के लिए भी रोजगार के अवसर खुलेंगे।
उचित दाम मिले तो दूसरे भी जुड़ेंगे
मृणशिल्प कलाकृतियों से जुड़े रोजगार को बढ़ावा मिले, इसके लिए सरकार को बिक्री के उचित प्लेटफॉम सुलभ करवाने होंगे। कलाकारों को उचित दाम मिलेंगे तो और भी परिवार इस कार्य से जुड़ेंगे।
– लोगरलाल कुम्हार, मृण शिल्पकार, मोलेला
लॉकडाउन से पड़ा असर
लॉकडाउन के चलते गुलाब के उत्पाद की बिक्री कमजोर जरूर हुई है, लेकिन ट्रांसपोर्ट सुविधा शुरू हो जाए तो अन्य राज्यों से आने वाले ऑर्डर पर आपूर्ति की जा सकती है।
– लोकेश माली, खमनोर
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