उदयपुर में जरूरत को देखते हुए राजसमंद से काफी मेडिकल स्टॉफ भेजा हुआ है, जो वहां पर राजसमंद से रैफर मरीजों की देखभाल में जुटा है। ये स्टॉफ वहां की जरूरत के हिसाब से भेजा है। लेकिन अब यहां पर भी जरूरत पडऩे लगी है। परंतु यहां पर कोविड मरीजों को पिछले तीन दिनों से तो उदयपुर ही भेजा रहा है।
दूसरी ओर गांवों में भी स्थितियां बदल रही है। रोज मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और ये ही मरीज जिला अस्पताल पहुंच रहे है। जहां से उदयपुर भेजा जा रहा है।
अस्पताल सूत्रों के अनुसार जिला अस्पताल के पास आक्सीजन के ५० सिलेंडर है जो रनिंग में है। जिसमें से स्थिति यह है कि प्रति दो घंटों में करीब ५ सिलेंडर खाली हो रहे है। खासकर पिछले तीन दिनों में जो हालात बने है, वह आने वाले समय में भयानह स्थिति को बनाने वाले है। जबकि स्थानीय आक्सीजन प्लांट की क्षमता एक दिन में ३४ सिलेंडर सप्लाई करने की है। ऐसी स्थिति में आगामी सात दिनों में आक्सीजन की भारी कमी देखी जा सकती है।
राजसमंद जिले की बात करे तो यहां पर पिछले चार से पांच दिनों में कोविड मरीजों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। एक दिन में औसत 100 से ज्यादा का आंकड़ा मरीजों का आ रहा है। वहीं प्रदेश में रिकवरी रेट 12 प्रतिशत तक गिर चुकी है। यानि की कोविड मरीजों की मौत भी हो रही है। ऐसी स्थिति में आगामी सात दिन बाद मरीजों की संख्या में औसत 12 से 15 प्रतिशत तक वृद्धि का अनुमान है।
वर्तमान में वक्त बड़ा ही नाजुक है। परिस्थितियां विपरित बनी हुई है। हालात नियंत्रण से कभी भी बाहर हो सकते है। कुल मिलाकर पिछले वर्ष से भी ज्यादा खतरनाक स्थिति में राजसमंद खड़ा है। कभी भी हालात और बिगड़ सकते हैं। ऐसे में हम खुद को समझे और समझाएं, दूसरों को भी समझाएं और बेहद जरूरत हो तो ही बाहर निकले। कोविड संक्रमण तेज गति से फैल रहा है। आए दिन जो आंकड़े सामने आ रहे है, उससे लगता है कि गति की चेन को तोडऩे के लिए हमारा घर में रहना ही सभी के लिए सुरक्षित है। ऐसे में बचाव का एक ही तरीका कारगर है कि घर में रहे। बाहर निकले तो मास्क जरूरी है, सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करें। कोविड की सिखाई तीन चीजें ही उसके खिलाफ हथियार है। जैसे हाथ नहीं मिलाना, 6 गज की दूरी पर खड़े रहना और मास्क पहने रखना। ये चीजें कोविड से ही सिखाई है और आज ये ही बचाव के लिए हमारे हथियार है।