रामपुर की जिला जेल के कैदियों की जीवनशैली अलग है, दिशा में बदलने के लिए उन्हें विभिन्न कौशल सिखाए जा रहे है। यहां कैदी और बंदी जेल से छुटने के बाद खुद का रोजगार कर सकें। इसके लिए रामपुर जेल में कैदी और बंदी प्रशिक्षण प्राप्त कर कौशल विकास कार्यक्रम के तहत एलईडी बल्ब बना रहे है। स्किल सीखने के बाद बाहर की दुनियां में रोजगार पाकर अपना और अपने परिवार के भरण पोषण कर सकेंगे।
जेल में खाली समय का सदूपयोग
जेल अधीक्षक प्रशांत मौर्य ने बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार और जिला प्रशासन के निर्देशन में जिला कारागार में बंदी/कैदी को कौशल विकास मिशन के तहत कई विषयों में व्यवसायिक प्रशिक्षण दिया गया। जेल अधीक्षक के मुताबिक इसका उद्देश्य है कि जो बंदी या कैदी में किसी तरह की स्किल अगर उनके अंदर नही है और वे उम्र के उस पड़ाव पर है कि जेल से बाहर जाने के बाद कुछ सीखना थोड़ा मुमकिन नहीं होगा। इसलिए जेल के अंदर खाली समय का सदूपयोग होगा। दूसरा उद्देश्य है कि जेल से स्किल सीखने के बाद बाहर की दुनियां में उन्हें रोजगार मिल सकेगा और अपने जीवन यापन के लिए धन का अर्जन कर सकेंगे। एलईडी बल्ब बिक्री की जाएगी
जिला कारागार में कैदी या बंदी जो पैसा कमाते हैं। उसका अधिकांश या सारा हिस्सा उनके दैनिक उपयोग में खर्च कर लेते या जो अधिक मेहनत कर लेते है। उनका पैसा उनके परिवार को भी भेज दिया जाता है।
जेल से बनाये गए एलईडी बल्ब सरकारी संस्थानों को भी सप्लाई किया जाएगा। इसके अलावा इनके द्वारा बनाये गए उत्पाद हेतु शोरूम के लिए जगह चिन्हित कर ली गई है। जून में इसका उदघाटन करके बंदियो व कैदियों द्वारा बनाये गए एलईडी बल्ब बिक्री की जाएगी।