बाबा ने कहा कि व्यक्ति के जीवन की सबसे बढ़ी बाधा यहीं है कि व्यक्ति दुर्रविचार और दुर्भावनाओं और दुर्गुणों मे फंस कर अपने असली स्वरूप से अपने शुद्ध स्वरूप से वंचित हो जाता है। यदि एक चीज भी समझ में आ जाए तो व्यक्ति मानव से महामानव, पुरुष से महापुरुष, नर से नारायण और जीव से ब्रम्ह बन जाए, ये इतना बड़ा सत्य है। योग आध्यत्म का हमारी भारतीय संस्कृति का और आज मनुष्य ने इस दुनिया में क्या-क्या अच्छे कर्म नहीं किए और मनुष्य ने क्या बूरा नहीं किया। आज भी बगदादी जैसे लोग बरबादी करने में लग है। बडे़ आदमी के अंदर सच्चाईयां भी अंतत है और आदमी के अंदर बुराईयां भी अनंत है।
योग से बुराईयों का बीज नाश हो जाता है और सच्चाई सत्य और परमसत्य पूरा प्रकट हो जाता है। आप भी योग करें औरों को भी योग कराए। मैंने पिछली बार भी राष्ट्रीय कार्यकारिणी में यह सूत्र दिया था कि योग करना और कराना हम सभी का परम धर्म है। ये देश रोग मुक्त तो होगा ही। दुर्रविचारों से दुर्भावना से दुर्गुणों से मुक्त होगा।
योग से व्यक्ति के जीवन की सबसे बड़ी बाधाएं, उसकी बूरी आदतें, बूरे अभ्यासों से बूरे दुर्गुणों से वह मुक्त होगा। निराशा और अर्कमणयता से मुक्त होगा। ये तीन से यदि वह मुक्त हो जाए तो उसका जीवन अपने आप ही पावन हो जाता है। हमारे जीवन में सब प्रकार का सौभाग्य है। आप सब योग के मार्ग पर चल रहे है औरों को भी चलाते रहे। बहुत दिन हो गए थे रतलाम आए हुए, तो यहां ये संयोग एेसा ही बनना था, बांसवाड़ा की और जाते हुए।