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रतलाम

भावांतर में फसल बेची, अब रुपए का इंतजार

किसानों को अब जारी होगी १६ करोड़ से अधिक की राशि

रतलामJan 02, 2018 / 05:47 pm

harinath dwivedi

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रतलाम। जिले में मुख्यमंत्री भावांतर योजना अन्तर्गत अब तक करीब २२ हजार किसानों ने पंजीयन कराकर अपनी उपज बेची है। इसके पूर्व ५८३१ किसान पहले योजना का लाभ ले चुके हैं, जिन्हे ५ करोड़ २२ लाख ७४९७ रुपए रुपए किए जा चुके है। वहीं वर्तमान में १६५८८ करीब किसानों ने पंजीयन कराकर सोयाबीन, मक्का, उड़़द और मंूग योजना अन्तर्गत बेंची है, जिनको लाभ देने के लिए कृषि विभाग की और से शासन को १६ करोड़ से अधिक रुपए की मांग की गई। उपज संचालक कृषि जीएस मोहनिया के अनुसार जैसे ही राशि मिलेगी, किसानों के खाते में डालने का कार्य की शुरुआत की जाएगी।

कृषि उपज मंडी सचिव एमएल बारसे ने बताया कि जिन किसानों ने अपनी उपज पहले बेच दी थी और पंजीयन बाद में करवाया है, ऐसे ४८ करीब किसान है। इनमें कई किसान ऐसे भी जिन्होंने अपनी उपज दो-तीन बार भी बेची है। इनका निराकरण जिला प्रशासन द्वारा गठित समिति में किया जाकर जिलाधीश के अनुशंसा पर पोर्टल में नाम दर्ज किए जाएंगे। इसके बाद इन्हे लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री भावांतर योजना अन्तर्गत मक्का ३१ जनवरी तक खरीदी जाएगी।

मंडी में सोयाबीन ३१०० रुपए क्विंटल
कृषि उपज मंडी में भावांतर योजना अन्तर्गत उड़द और सोयाबीन की खरीदी कार्य की तारिख समाप्त होने के साथ ही उड़द २५०० से ३००० और सोयाबीन-२६८१ से ३१०१ रुपए क्विंटल के भाव निलाम हुई। इसी प्रकार वर्तमान में मक्का -११७२ से ११७३ रुपए क्विंटल चल रहे हैं।

कितने किसानों ने कितनी उपज बेंची
उपज किसान वजन क्विंटल
सोयाबीन १४७४७ ३६६६४२
उड़द ९१४ ८२९६
मक्का ६५ १४४५
मूंग ०२ ०७

प्याज खरीदी में पड़ा सात लाख का भार
सैलाना। शासन की गलत नीतियों के चलते सैलाना सहकारी विपणन एवं प्रक्रिया संस्था मर्यादित सैलाना को प्याज खरीदी में अनावश्यक रूप से लगभग सात लाख रुपए की चपत लग गई है। सहकारी आंदोलन को बढ़ावा देने का सहकारी दावा भी इस मामले में थोथा साबित हो रहा है। सोसायटी अध्यक्ष जगदीश कुमावत ने बताया कि गत वर्ष प्याज खरीदी का जिम्मा शासन ने उक्त संस्था पर डाला था। बाद में जसीबी मशीन तीन दिन तक लगा कर सड़े हुए प्याज को गड्ढा खुदवा कर निपटारा किया गया जिसमें सोयायटी की 84,900 रुपए खर्च करने पड़े। बरसात में प्याज भींगे नहीं इस हेतु बरसाती, सुपडी और सुतली खरीदी में संस्था को 67,415 रुपए खर्च करने पड़े। अतिरिक्त परिवहन पर पर करीब एक लाख 31,900 खर्च हुए। तुलावटियों के लिए शासन ने 12 रुपए प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जबकि मंडी दर 18 रुपए प्रति क्विंटल है। संस्था को 6 रुपए प्रति क्विंटल का व्यय अपनी तरफ से वहन करना पड़ा। कुमावत ने कहा कि इस प्रकार से इस पूरी खरीदी में संस्था पर 6 लाख 95 हजार 906 रुपए का भार बढ़ा है। ये नुकसानी पूर्व से ही आर्थिक संकट से जूझ रही इस संस्था पर भारी पड़ी है उन्होंने शासन से ये संपूर्ण राशि संस्था को देने की मांग की है।

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