रतलाम। लंबे समय से पत्रकार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से खुश नहीं है। विभिन्न सोशल मीडिया पर इनकी नाराजी साफ नजर आती है। अब भाजपा व केंद्र की नरेंद्र मोदी वाली सरकार ने पत्रकारों को खुश करने की जवाबदेही ले जी है। इसके लिए एक बड़ा निर्णय अमल में लाया जाने वाला है। इस निर्णय में सरकार व भाजपा मिलकर काम करने जा रही है।
मीडिया का रखे हिसाब-किताब बता दे कि भाजपा ने विधायक व सांसदों को कहा है कि वे अपने निजी सचिवों को इस बारे में बता दे कि वे पत्रकारों के साथ बेहतर संबंध बनाए। इसके अलावा सोशल मीडिया का हिसाब-किताब भी रखें। इसमे सोमशल मीडिा पर प्रोफाइल व डाटाबेस को अपडेट करते रहे। बता दे कि उज्जैन संभाग में उज्जैन सांसद चिंतामणी मालवीय व मंदसौर सांसद सुधीर गुप्ता इस मामले में अव्वल है। उनकी टीम सोशल मीडिया पर अधिक सक्रिय है। इसी प्रकार रतलाम जिले में शहर विधायक व राज्य योजना आयोग उपाध्यक्ष चेतन्य काश्यप स्वयं सोमल मीडिया पर अपडेट रहते है।
अब दो दिन का होगा प्रशिक्षण भाजपा अब पार्टी से जुडे़ सांसद व विधायकों के साथ-साथ इनके निजी सचिवों को पत्रकारों से बेहतर संबंध बनाने का प्रशिक्षण देने जा रही है। इसके लिए हर सप्ताह शुक्रवार व शनिवार को दिल्ली में प्रशिक्षण कार्यक्रम होगा। चुनाव करीब आते ही इस प्रकार के प्रशिक्षण की शुरुआत तो हुई है साथ ही 65 पेजों की गाइडलाइन भी किताब के रुप में जारी की गई है। इसमे मतदाताओं से बात करने के तरीके, पत्रकारों से बात करने के तरीके, आमजन के लिए फंड के उपयोग करने के तरीके आदि के बारे में बताया गया है। इस किताब में भाजपा की विचारधारा के साथ-साथ पार्टी के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई है।
मीडिया के बारे में भी लिखा हुआ इस किताब में एक चेप्टर पूरा मीडिया के बारे में भी लिखा हुआ है। इसमे मोबाइल मीडिया, सोशल मीडिया के उपयोग के तरीके, निजी सहायक व सचिवों का मीडिया से बेहतर संबंध आदि के बारे में विस्तार से लिखा गया है। इसके अलावा कार्यालय में मीडिया का व्यक्ति आए तो उसका आदर करने, किस तरीके से बात करें, इस बारे में विस्तार से बताया गया है। इसमे सोशल मीडिया में क्या पोस्ट करना, किस तरह से उनको चलाना आदि की जानकारी भी दी गई है।
आज की सबसे बड़ी ताकत मीडिया देश में मीडिया सबसे बड़ी ताकत है। हम विधानसभा चुनाव २०१८ के साथ-साथ लोकसभा चुनाव २०१९ के पूर्व विकास में भी इसका बेहतर उपयोग करना चाहते है। ये तरीका ही हमारा पार्टी विथ डिफरेंस है। कई बार सांसद या विधायक व्यस्त रहते है, एेसे में निजी सहायक मीडिया से सही से बात कर सके, इसलिए इस तरह के प्रशिक्षण की शुरुआत की जा रही है।