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रतलाम

जैन संत ने ऐसा क्या कह दिया कि भक्तों की भर आई आंखें…पढ़े पूरी खबर

जैन संत ने ऐसा क्या कह दिया कि भक्तों की भर आई आंखें…पढ़े पूरी खबर

रतलामNov 25, 2018 / 12:46 pm

Gourishankar Jodha

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जैन संत ने ऐसा क्या कह दिया कि भक्तों की भर आई आंखें…पढ़े पूरी खबर

रतलाम। गुरु शरीरी रूप से भले ही प्रत्यक्ष हमारे सामने नहीं हो, परन्तु गुरुज्ञान जीवन पथ पर पग पग पर मार्गदर्शन करता रहेगा। गुरु शरीर नहीं बल्कि चलता फिरता ज्ञान मंदिर है, जो जहां भी जाता है प्रकाश ही फैलाता है। उसे किसी पर्व, काल और समय की सीमा में प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। चातुर्मास पूर्णता पर गुरुवर की यह बाते सुनकर विदाई के समय भक्तों की आंखें छलक आई।
इन वचनों के साथ जिनचन्द्रसागरसूरि महाराज के लघु बंधु हेमचंद्रसागर महाराज बन्धु बेलड़ी ने धर्म जागरण चातुर्मास पूर्णता पश्चात 126वें दिन शनिवार तड़के रतलाम से विहार किया। वे नामली सेमलिया तीर्थ होते हुए आलोट के रास्ते विहार कर श्री नागेश्वर तीर्थ पहुंचकर कार्यक्रम में निश्रा प्रदान करेंगे। रतलाम से विहार करने के पहले आचार्यश्री टीआईटी रोड स्थित श्री चिंतामणी पाश्र्वनाथ जैन मंदिर पर दर्शन वंदन का लाभ लिया। जिनचन्द्रसागरसूरि महाराज की निश्रा में जयंतसेन धाम पर 45 दिनी उपधान तप का क्रम लगातार जारी है। 8 दिसंबर को तप पूर्णता तक आचार्य श्री यहीं विराजेंगे।
भक्तों ने कहा टवेंटी-टवेंटी यही बिताना, लौटकर वापस जल्दी आना
दीक्षा दानेश्वरी आचार्यश्री रामेश ने चातुर्मास समाप्ति पर समता कुंज से विहार किया। वे समता परिसर ऊंकाला रोड़ पहुंचे, चातुर्मास संयोजक महेंद्र गादिया द्वारा विकसित इस क्षेत्र में एक दिन का प्रवास कर रविवार सुबह आचार्यश्री दिलीप नगर और फिर स्टेशन रोड़ जाएंगे। उनकी विहार यात्रा में जय-जयकार और नारों की गूंज रही। समाजजनों ने टवेंटी-टवेंटी यही बिताना, लौटकर वापस जल्दी आना जैसे नारे लगाकर वर्ष 2020 का चातुर्मास रतलाम में करने की विनंती की। आचार्यश्री ने विहार से पूर्व समता कुंज में अमृत देशना देकर मांगलिक श्रवण कराई। इसके बाद विहार यात्रा आरंभ होते ही पूरा परिसर भाव-भक्ति से सराबोर हो गया। जाते-जाते सुनते जाना, लौटकर वापस जल्दी आना और विनती करता नया जमाना लौटकर वापस जल्दी आना जैसे स्वर गूंजे। मार्ग में जगह-जगह भावविह्लल आंखों से विदाई दी गई। विहार यात्रा लक्कड़पीठा, चांदनी चौक, घांस बाजार, कलईगर रोड़, हरमाला रोड़ और ऊंकाला रोड़ होते हुए समता परिसर पहुंची। इसमें चातुर्मास संयोजक गादिया, श्री संघ अध्यक्ष मदनलाल कटारिया, मंत्री सुशील गौरेचा सहित अन्य पदाधिकारीगण एवं बड़ी संख्या में समाजजन शामिल थे।
समाज में एकजुटता पर दिया बल
आचार्यश्री ने चातुर्मास की अंतिम अमृत देशना में आचार्यश्री नानालाल महाराज के जन्म शताब्दी वर्ष के जो आयाम दिए है, उनसे परिवार के हर सदस्य को जोडऩे का आव्हान किया। उन्होंने कहा कि व्यसन मुक्ति, उत्क्रांति और परिवार अंजलि के आयाम जीवन में बदलाव लाने वाले है। संसार से मोक्ष की यात्रा करना है, तो विषय, वासना, मोह, माया से दूर रहना होगा। लोग जब जागेए तभी सवेरा कहकर उसे महत्व का बताते है, लेकिन दिन वही महत्वपूर्ण होता है, जिसमें आत्मा का जागरण होता है। मनुष्य संसार के प्रति जितना राग भाव रखता है, यदि उतना धर्म साधना में लगाकर आत्मा का कल्याण कर सकता है। आचार्यश्री ने समाज में एकजुटता पर बल देते हुए कहा संस्कारों का बीजारोपण प्रारंभ से करने का आव्हान भी किया। उन्होंने प्रतिदिन नवकार मंत्र की आराधना करने, सुबह की शुरुवात भी इससे करने और शयन में भी इसे स्मरण करने को कहा। प्रशममुनि एवं गोतममुनि ने भी संबोधित किया। स्वरूपचंद, अंकित पारिख ने उत्क्रांति अपनाने का संकल्प व्यक्त किया। संचालन सुशील गौरेचा एवं महेश नाहटा ने किया

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