मलवासा के श्रवण कुमार चौधरी का कहना है कि वह अधिकारियों से उसने मंगलवार को भी मिलकर चर्चा की लेकिन उसकी सुनवाई नहीं हो सकी। इस बीच सुबह उसके साथ धरने पर बैठे मलवासा के बाबूलाल के पुत्र जीवन की गर्मी में घबराहट होने व उल्टी होने से उसे परिजन अस्पताल लेकर पहुंचे। बाल चिकित्सालय में बालक को भर्ती कर उसे बोतल चढ़ाई गई, जिसके चलते दोपहर में उसकी हालत ठीक हुई तो बोतल उतरने के बाद वह फिर से पिता के पास कलेक्ट्रेट में धरने पर जाकर बैठ गया। इस दौरान सुबह से शाम तक अधिकारी दफ्तर से अंदर बाहर होते रहे लेकिन कोई इनसे बात कर इन्हें मना नहीं पाया।
पीडि़त परिवार को दो दिन से धूप में अनशन पर देखने के बाद मंगलवार शाम को प्रशासन का दिल पसीजा और पटवारी मलवासा गांव जाकर शासकीय जमीन तलाश कर पीडि़त परिवारों को देने के लिए निकले। इस बीच शाम करीब ६ बजे तक पीडि़तों को यह नहीं बताया गया था कि उन्हे कौन सी जमीन किस स्थान पर दी जा रही है। गांव के बाहर प्रशासन जो जमीन देने को तैयार था, उसे लेने से इनके द्वारा साफ तौर पर इनकार कर दिया गया। इन सब के बीच प्रशासनिक अमला भी जमीन की तलाश में लग गया है।