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रतलाम

Glaucoma Eye Surgery Success : अब जिला अस्पताल में ग्लूकोमा ‘काला मोतिया की भी शुरू सर्जरी

रतलाम। ग्लूकोमा अर्थात काला मोतिया के ऑपरेशन के लिए रतलाम के लोगों को अब बाहर नहीं जाना पड़ेगा, क्योंकि अब यह सुविधा जिला अस्पताल रतलाम में नि:शुल्क उपलब्ध हो गई है। पहले नेत्र रोगों के उपचार के लिए मोतियाबिंद की नि:शुल्क ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध थी, किंतु अब मोतियाबिंद के अलावा ग्लूकोमा अर्थात नेत्र रोग में काला मोतिया के ऑपरेशन की नि:शुल्क सर्जरी की सेवा शुरू कर दी गई है।

रतलामNov 25, 2023 / 11:48 am

Gourishankar Jodha

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जिले के सिविल सर्जन वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.एमएस सागर ने बताया कि भूलीबाई पति नागू उम्र 50 वर्ष निवासी ग्राम बनबाना ब्लॉक नागदा जिला उज्जैन लंबे समय से नेत्र रोग से पीड़ित थी, किंतु अपना उपचार नहीं करवा पा रही थी। उन्होंने जिला अस्पताल रतलाम में अपनी ऑखों का परीक्षण कराया तो उन्हें ग्लूकोमा बताया गया। नेत्र रोग विभाग में डॉ. सागर और टीम ने उनका ग्लूकोमा का सफलतापूर्वक ऑपरेशन किया।
आंखों की रोशनी छीन लेता ग्लूकोमा


सिविल सर्जन नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.एमएस सागर एवं डॉ. एसएस गुप्ता ने बताया कि ग्लूकोमा कि ग्लूकोमा आंखों का रोग है जो धीरे-धीरे आंखों की रोशनी छीन लेता है। यह अंधत्व का तीसरा कारण है। इसके लक्षण धुंधली दृष्टि, तेज रोशनी के चारों तरफ इंद्रधनुषी रंग के गोले नजर आना है । परिधिय दृष्टि का समाप्त हो जाना, लालिमा अचानक दृष्टि का जाना, दृष्टि में धीरे धीरे कमी आना मुख्य है। ग्लूकोमा सामान्यत: उन लोगों को होता है जिनको मायोपिया ‘निकट दृष्टि दोषÓ हो, ग्लूकोमा का पारिवारिक इतिहास हो, आंखों की चोंट हो, लंबे सेमय तक एस्टीरॉयड दवाओं का उपयोग किया हो, हाई बी पी, डायविटीज से पीडित हों। ग्लूकोमा का उपचार एंटी ग्लूकोमा आइ ड्राप , लेजर उपचार तथा ग्लूकोमा माईक्रोसर्जरी से संभव है ।
60000 मोतियाबिंद ऑपरेशन कर चुके डॉ. सागर


उल्लेखनीय है कि ग्लूकोमा के कारण देखने की क्षमता समाप्त होने पर उसे वापस नहीं लाया जा सकता, नेत्र दाब नियंत्रण में रखें अपने उपचार का सतर्कता से पालन करें, सर्जरी व दवा चलने के बाद भी नियमित रूप से नेत्र की जांच कराते रहें। वर्तमान सिविल सर्जन डॉ एमएस सागर स्वयं नेत्र सर्जन है जो अब तक लगभग 60000 मोतियाबिंद की ऑपरेशन कर चुके हैं तथा सैकड़ो ग्लूकोमा के ऑपरेशन कर चुके हैं। इसके बाद अब मरीजों को बड़े शहरों के लिए इस बीमारी के लिए नहीं जाना पड़ेगा।

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