महासंघ के पदाधिकारियों ने कहना था कि सरकार ने वचन पत्र में लिखा था कि यदि हमारी सरकार बनती है तो हम सहकारी संस्थाओं के कर्मियों के लिए पृथक कैडर का गठन कर उनके नियमितिकरण वेतन में समानता तथा सरकारी कर्मियों की तरह सुविधाओं को बढ़ाएंगे। लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी पैक्स कर्मचारियों की और सरकार ने ध्यान नहीं दिया। जिससे समिति कर्मचारियों में आक्रोश है। समय रहते हमारी मांगों का निराकरण नहीं किया जाता है तो भविष्य में आंदोलन का रास्ता अपनाना पड़ेगा।
महासंघ जिलाध्यक्ष विनय तिवारी, ब्लाक अध्यक्ष राजेंद्रसिंह गौड़़, महामंत्री महेशसिंह सोनगरा, उपाध्यक्ष नरेंद्र दुबे, सरदारसिंह गेहलोत, जगदीश शर्मा आदि ने बतााया कि जय किसान फसल माफी ऋण योजना के अन्तर्गत शासन द्वारा पीए ऋण (अकालातीत) का 100 प्रतिशत सब स्टेण्डर्ड (कालातीत दिनांक से 1 से 2 वर्ष तक) ऋण पर 75 प्रतिशत तथा डाउटफुल ऋणों के विरूद्ध 50 प्रतिशत की राशि बैंकों के माध्यम से पैक्स समितियों का उपलब्ध कराया जाना प्रस्तावित है। चूंकि सहकारी समिति में किसान के अंशपूंजी के अनुपात पर अपना व्यवसाय करती है, जिसमें सहकारी अधिनियमों के अधीन किसानों से माफ दंड तय किया जाकर हिस्सा राशि लिया जाता रहा है जो एक पूंजी के रूप में उपयोग होता है।