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रतलाम

दाहिने पैर के अंगूठे पर मस्तक लगाने के लाभ

दाहिने पैर के अंगूठे पर मस्तक लगाने के लाभ

रतलामOct 28, 2018 / 10:34 pm

Gourishankar Jodha

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दाहिने पैर के अंगूठे पर मस्तक लगाने के लाभ

रतलाम। मस्तक में आज्ञाचक्र होता है, उसे यदि माता-पिता व गुरुजनों को वंदन करते हुए दाहिने पैर के अंगूठे पर लगाया जाए, तो वह जागृत होकर बहुत लाभकारी होता है। इससे हमारी कई विपत्तियां टल जाती है। हमें सभ्य और सुंदर संस्कृति मिली है। परिवार में सभ्यता एवं संस्कार बने रहे, तो देवलोक का आनंद महसूस कर सकते है। बड़ों का आशीर्वाद हमेशा काम आता है। माता-पिता को वंदन करने से हमें जो उर्जा मिलती है, वह ताकतवर बनाती है। यह बात आचार्यश्री रामेश ने माता-पिता एवं गुरुजनों के सम्मान की प्रेरणा देते हुए कहा कि उपस्थित धर्मालुओं के समक्ष व्यक्त किए।
आचार्यश्री रामेश के चातुर्मास ने तप, त्याग, दीक्षा के साथ संस्कारों के संवर्धन का इतिहास रचा। श्री साधुमार्गी जैन संघ द्वारा समताकुंज में आयोजित मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में सैंकड़ों बेटे-बेटियों ने एक साथ अपने परिजनों का पूजन किया, तो कई परिवार हुए भावविह्लल हो गए। इसके पूर्व भारतीय संस्कृति एवं सभ्यता के साथ पर्यावरण की रक्षा करने का संकल्प भी लिया।
एक जाजम पर 317 परिवार बैठे
समता अतिथि परिसर में हुए मातृ-पितृ पूजन कार्यक्रम में तीन एवं इससे अधिक पीढिय़ों के बेटे-बेटियों वाले सैंकड़ों परिवार एक जाजम पर 317 परिवार बैठे। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य गुणवंत कोठारी ने पहले सभी को अपने माता-पिता को वृद्धाश्रम नहीं भेजने और देश, परिवार एवं समाज के प्रति जिम्मेदारियों का निर्वाह करने का संकल्प दिलाया। इसके बाद सभी बेटे-बेटियों ने अपने माता-पिता, दादा-दादी, पड़दादा-पड़दादी का पूजन कर आशीर्वाद लिया। रतलाम श्री संघ, हिन्दू आध्यात्म एवं सेवा फाउंडेशन इंदौर तथा संयम साधना महोत्सव, रतलाम चातुर्मास समिति ने सभी परिवारों का स्मृति चिन्ह प्रदान कर सम्मान किया।

भारत की संस्कृति आरंभ से समृद्ध रही है
आरंभ में समता बालिका मंडल ने मंगलाचरण प्रस्तुत किया। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कोठारी ने अमेरिका में परिवार विभाजन के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस देश को दुनिया शक्तिशाली मानती है। उसकी हालत आधुनिकता के नाम पर चिंतनीय है। भारत की संस्कृति आरंभ से समृद्ध रही है। श्री संघ के राष्ट्रीय महामंत्री धर्मेंद्र आंचलिया ने आयोजन की सराहना की। रतलाम श्री संघ अध्यक्ष मदनलाल कटारिया ने कहा माता-पिता के उपकार को कभी भूलना नहीं चाहिए। स्वागताध्यक्ष हिम्मत कोठारी ने कहा कि मातृ-पितृ पूजन के इस कार्यक्रम को एक दिन तक सीमित नहीं रखे, इसे तो हर व्यक्ति अपनी नियमित जीवनशैली बनाए। चातुर्मास संयोजक महेंद्र गादिया ने कहा कि संस्कार रहेंगे, तो परिवार रहेंगे। संचालन महेश नाहटा ने किया। आभार श्री संघ के मंत्री सुशील गौरेचा ने माना। समता कुंज में 30 अक्टूबर को बड़ी दीक्षा का आयोजन होगा। इसमें नवदीक्षित महासती निर्मलयशाश्री एवं रूपयशाश्री को आचार्यश्री बड़ी दीक्षा प्रदान करेंगे। यह कार्यक्रम सुबह 7 बजे होगा।
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