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रतलाम

किसी को भी गिफ्ट देने से पहले सावधान, बदल दिया आयकर विभाग ने अपना कानून

अब तक किसी को महंगा से महंगा गिफ्ट देने से पहले विचार करने की जरुरत नहीं रहती थी, अब आयकर विभाग ने अपना कानून बदल दिया है। नया कानून एक जुलाई से लागू हो जाएगा।
 

रतलामJun 26, 2022 / 12:41 pm

Kamal Singh

किसी को भी गिफ्ट देने से पहले सावधान, बदल दिया आयकर विभाग ने अपना कानून

किसी को भी गिफ्ट देने से पहले सावधान, बदल दिया आयकर विभाग ने अपना कानून

रतलाम. अपने उत्पाद की बिक्री बढ़ाने के लिए बहुत सी कंपनियां अपने वितरक, थोक व फुटकर कारोबारियों को उपहार देती रहती है। कुछ इसी तरह दवा कंपनियां भी अपनी दवाओं की बिक्री बढ़ाने के लिए डॉक्टरों आदि को अक्सर कार, टूर पैकेज, गोल्ड ज्वैलरी आदि के उपहार देती हैं। कंपनियां इस खर्च को सेल्स प्रमोशन के मद में डालकर आयकर का लाभ लेती रही हैं, अब तक उपहार पाने वाला इन्हें ना तो अपनी आय में शामिल करता है न अपने रिटर्न में उसका कोई उल्लेख करता है, लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकेगा। टैक्स डिडेक्टेड एट सोर्स (टीडीएस) के नए नियमों के चलते उपहार पाने वाले को इसे अपनी सालाना आय में दर्शाना होगा। यह नियम आगामी एक जुलाई 2022 से लागू होने जा रहा है, हालांकि २० हजार रुपये तक के उपहार देने पर यह नियम लागू नहीं होगा।

आयकर विशेषज्ञों ने बताया कि इस नए नियम का उद्देश्य सभी प्रकार के व्यापारिक लाभों या अनुलाभों को टीडीएस के जरिए कर योग्य आय की श्रेणी में लाना है। इससे महंगे उपहार लेने के बाद भी जो लोग उस पर टैक्स नहीं देते हैं, उन्हें उस पर कर चुकाना होगा।
आयकर कानून में टीडीएस के प्रावधानों को बढ़ाते हुए धारा 194 आर को जोड़ा गया है। इसके अनुसार इस तरह के उपहार देने वाली कंपनी उपहार पाने वाले से 10 प्रतिशत टीडीएस वसूलेगी। टीडीएस काटने के बाद ही उपहार या वह वस्तु दी जाएगी। इसके बाद कंपनी आयकर विभाग के टीडीएस रिटर्न में भी इसका उल्लेख करेगी और वसूली हुई राशि को जमा भी करेगी।

आयकर विभाग को पता चलेगा
टीडीएस रिटर्न फाइल होने से आयकर विभाग को पता चल जाएगा कि वह उपहार किसे दिया गया और उसकी कीमत क्या थी। इसके साथ ही उपहार पाने वाले के आयकर पोर्टल में 26 एएस में यह अपने आप दिखने लगेगा। इसलिए उपहार लेने वालों को भी अपनी आय में इस उपहार की कीमत को जोडऩा होगा। वे इसे छिपा नहीं सकेंगे।

काटा जाएगा टीडीएस
एकल स्वामित्व वाली फर्म, हिंदू अभिविभाजित परिवार जिनकी व्यापार से बिक्री एक करोड़ रुपए से कम या पिछले वित्तीय वर्ष में पेशे से प्राप्तियां 50 लाख रुपये से कम हों। साथ ही यदि लाभ या अनुलाभ प्राप्त करने वाला भारत का नागरिक न हों तो उस पर भी यह नियम लागू नहीं होगा। सीए राकेश भटेवरा ने बताया कि उपहार दी गई वस्तु का उस समय का बाजार मूल्य देखकर उस कीमत पर टीडीएस काटा जाएगा।

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