scriptक्या आपको पता, मध्यप्रदेश का ये प्रसिद्ध शहर है भगवान श्रीकृष्ण का ससुराल | Madhya Pradesh Me Shree Krishna Ka Sasural In Hindi | Patrika News
रतलाम

क्या आपको पता, मध्यप्रदेश का ये प्रसिद्ध शहर है भगवान श्रीकृष्ण का ससुराल

क्या आपको पता, मध्यप्रदेश का ये प्रसिद्ध शहर है भगवान श्रीकृष्ण का ससुराल

रतलामSep 01, 2018 / 11:44 am

Ashish Pathak

janamastami 2018 - vrat, puja vidhi shubh muhurt aur mahatav

janamastami 2018 – vrat, puja vidhi shubh muhurt aur mahatav

रतलाम। आज भले पुरुष व महिलाओं में समानता व भेदभाव पर तगड़ी बहस होती हो, लेकिन पांच हजार वर्ष पूर्व जब भगवान श्रीकृष्ण हुए, तब उन्होंने महिलाओं का सम्मान किया था। वे सभी महिलाएं, जिनको कोई शरण में लेने को तैयार नहीं था, उन 16 हजार 108 महिलाओं को भगवान श्रीकृष्ण ने अपनाकर शरण में लिया था। भगवान का एक ससुराल मध्यप्रदेश के एक प्रसिद्ध शहर में भी है। इन 16 हजार 108 महिलाओं में, जिनको भगवान की रानी कहा जाता है, 9 रानियां तो बेहद खास थी। ये बात रतलाम के प्रसिद्ध ज्योतिषी वीरेंद्र रावल ने कही। वे भगवान श्रीकृष्ण के युग में महिलाओं का सम्मान विषय पर भक्तों को बता रहे थे।
राधा पे्रयसी, रुक्मिणी व मित्रविंदा से विवाह

भगवान श्रीकृष्ण व राधा का प्रेम तो अलोकिक है। इसका जितना वर्णन किया जाए, वो कम है। उस प्रेम में जो समर्पण है, उसकी कोई शब्दों में व्याख्या नहीं कर सकता है। लेकिन भगवान के जीवन को देखें तो ये साफ है कि उन्होंने महिलाओं का काफी सम्मान किया। भगवान ने रुक्मिणी व मित्रविंदा से विवाह किया, ये इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण है। सभी को पता है कि इन दोनों की भावनाओं का सम्मान करते हुए भगवान ने इनका स्वयंवर के दौरान हरण किया था।
मां लक्ष्मी का अवतार थी ये देवी

भगवान श्री कृष्ण की पहली पत्नी देवी रुक्मिणी को माना जाता है। ये महालक्ष्मी का अवतार थी। रुक्मिणी विदर्भ के महाराजा भीष्मक की बेटी थी। ये भगवान से विवाह करना चाहती थी, लेकिन इनके भाई रुक्मी को ये विवाह पसंद नहीं था। इसलिए स्वयंवर के दौरान ही इनको भगवान ने हरण कर लिया। इन दोनों के दस पुत्र होना शास्त्रों में लिखा हुआ है।
मणी की चोरी से मिली दूसरी पत्नी

भगवान श्री कृष्ण के दूसरे विवाह की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। असल में जामवंत की बेटी जामवंती भगवान श्री कृष्ण की दूसरी पत्नी थी। असल मंे भगवान कृष्ण के उपर मणी चुराने का आरोप लगा था। जब भगवान इस आरोप से परेशान हो गए तो उन्होंने स्वयं की मणी की तलाश शुरू की। योग के द्वारा भगवान ने ये देख लिया कि उनके पूर्व जन्म के भक्त जामवंत के पास ये मणी है। जब भगवान मणी के लिए गए तो जामवंत भगवान को पहचान नहीं पाए। इन दोनों के बीच जमकर युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान लडऩे के तरीके से जामवंत को इस बात का एहसास हुआ कि ये तो उनके आराध्य भगवान श्रीराम के तरीके का युद्ध है। इसके बाद उन्होंने न सिर्फ मणी दी, बल्कि अपनी पुत्री जामवंती के साथ विवाह भी किया।
इस मणी के चलते हुआ था सत्यभामा से विवाह

भगवान श्रीकृष्ण व सत्यभामा का विवाह की कहानी बड़ी दिलचस्प है। असल में ये सभी को पता है कि सत्यभामा सत्राजित की बेटी थी। जामवंत से जिस मणी के लिए भगवान का युद्ध हुआ था वो सत्राजित की पुत्री सम्यभामा की थी। युद्ध करके भगवान श्री कृष्ण ने वो मणी प्राप्त की थी व सत्राजित तो लाकर दे दी थी। इससे सत्राजित को शर्म महसुस हुई। उन्होने अपने अपराध के लिए भगवान से माफी मांगी। इसके बाद अपराध का प्रायश्चित करने के लिए अपनी पुत्री सत्यभामा का विवाह भगवान श्रीकृष्ण से करवाया। इतना ही नहीं, जिस मणी की वजह से विवाद हुआ था, उस मणी को भी दे दिया।
इस जंगल में हुआ था कठोर तप

भगवान ने कभी महिलाओं की इच्छा का अनादर नहीं किया। ये बात सभी को पता है कि भगवान सूर्यदेव की बेटी कालिंदी है। जब कालिंदी को भगवान श्रीकृष्ण विष्णु के अवतार है, इस बात की जानकारी लगी तो उन्होंने खांडव नाम के घने जंगल में विवाह की इच्छा से कठोर तप किया। जब भगवान को इस कठोर तप के बारे में पता चला तो उन्होंने कालिंदी को दर्शन दिए व विवाह की कामना को पूरा किया।
एक नहीं सात सांड को किया था वश में

क्या आपको पता है कि भगवान का एक विवाह सत्या नाम की राजकुमारी के साथ हुआ था। असल में सत्या, राजा नग्नजिति की बेटी थी। शास्त्र कहते है कि इस राजा ने अपनी बेटी के स्वयंवर में शर्त रखी की जो एक साथ सात पागल सांड को अपने वश में करेगा, उसी से सत्या का विवाह होगा। जब भगवान को इस बारे में पता चला तो वे भी इस स्वयंवर को देखने गए। जब एक एक करके सभी राजा पराजित हुए तो सत्या ने भरी सभा में ये लताड़ लगाई कि क्या किसी पुरुष में सांड को काबू में करने का दम नहीं है। तब भगवान ने अपनी मुरली को बजाया व सभी सांड काबू में आ गए थे। इसके बाद सत्या का विवाह भगवान से हुआ था।
भद्रा से हुआ था विवाह

भगवान श्रीकृष्ण ने भद्रा से भी विवाह किया था। बता दे कि शास्त्रों में रोहिणी, भद्रा व कैकयी नाम के पात्र का उल्लेख आता है। ये राजा ऋतुसुकृत की बेटी थी। जब इनका स्वयंवर हुआ तब किसी के नंबर आने से पहले ही इन्होंने भगवान श्रीकृष्ण के गले में वरमाला को डाल दिया था। इसी प्रकार कैकेय देश क राजकुमारी लक्ष्मणा ने भी अपने स्वयंवर के दौरान वरमाला को भगवान के गले में डाल दिया था।
उज्जैन में रहा भगवान का ससुराल

भगवान श्री कृष्ण का ससुराल उज्जैन में भी है। मध्यप्रदेश में उज्जैन की पहचान महाकाल, गढ़कालिका, कालिदास, राजा विक्रमादित्य आदि की वजह से है। लेकिन ये मामला थोड़ा अलग है। शास्त्र कहते है कि मित्रविंदा द्वापर युग के अवंती राज्य जो अब उज्जैन कहलाता में विंद व अनुविंद की बहन मित्रविंदा थी। विंद व अनुविंद दुर्योधन की बात मानते थे। जबकि मित्रविंदा भगवान श्री कृष्ण से विवाह करना चाहती थी। भगवान ने चतुराई से मित्रविंदा का हरण किया व विवाह किया। भगवान ने ये लीला स्वयंवर के समय की थी।
Madhya Pradesh Me Shree Krishna Ka Sasural In Hindi

Home / Ratlam / क्या आपको पता, मध्यप्रदेश का ये प्रसिद्ध शहर है भगवान श्रीकृष्ण का ससुराल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो