बतां दे कि मप्र कृषि कल्याण तथा कृषि विकास मंत्रालय द्वारा 2015-16 में मिट्टी परीक्षण प्रयोगशाला खोलने की स्वीकृति प्रदान की थी, लेकिन निर्माण एजेंसी मंडी बोर्ड के ढुलमुल रवैये के चलते प्रयोगशाला अब तक कृषि विभाग के हैंडओवर नहीं हो पाई है। जिले के रतलाम को छोड़कर सैलाना, बाजना, पिपलौदा, जावरा के भुतेड़ा, आलोट क्षेत्र में करीब 35 से 40 लाख रुपए की लागत से प्रति विकासखंड में प्रयोगशाला का निर्माण कार्य हो रहा है, लेकिन अब तक इनमें ना तो उपकरण पहुंचे है और ना ही कर्मचारी यहां तक की पानी, बिजली तक की व्यवस्था भी नहीं हो पाई है।
मिट्टी के पोषक तत्वों का भंडार है, कृषि विभाग द्वारा खरीफ और रबी सीजन के पूर्व दो बार खेतों से किसानों द्वारा मिट्टी का सैंपल लेकर परीक्षण करवाया जाता है। इसके बाद किसानों को रिपोर्ट देकर मिटट्ी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों की जानकारी देकर उचित सलाह दी जाती है कि मिट्टी में किनकी कमी और क्यों प्रयोग करना है। ताकि मिटटी की गुणवत्ता में सुधार आए और किसान अच्छा उत्पादन ले सके।
पांच विकासखंडों में मंडी बोर्ड द्वारा मिट्टी परीक्षण प्रयोगशालाओं को निर्माण कार्य चल रहा है, अब तक विभाग को हैंडओवर नहीं की गई है। परेशानी आती है, सभी विकासखंडों से मिट्टी के सैंपल रतलाम कृषि उपज मंडी स्थित भवन स्थित प्रयोगशाला ले जाना पड़ते है। आलोट क्षेत्र में कार्य अंतिम चरण में शीघ्र ही उसे हैंडओवर करने की बात की जा रही है।
जीएस मोहनिया, उपसंचालक कृषि रतलाम
सैलाना, बाजना, पिपलौदा, जावरा के भुतेड़ा, आलोट बिल्डिंग तैयार हो चुकी है, अब तक कृषि विभाग को हैंडओवर नहीं किया है, आलोट की शीघ्र कर देंगे। तैयार तो काफी समय पहले हो चुकी है थी, लेकिन जल और विद्युत व्यवस्था की कहीं कहीं काम बाकि है लगाना है। 2016 से काम चल रहा है, बनकर जैसे-जैसे तैयार होगी हैंडओवर कर देंगे। अनुमानित प्रति बिल्डिंग की लागत 35-40 लाख रुपए होगी। कहीं कहीं बिजली व्यवस्था के कारण ट्रांसफार्मर लगाना है
राजेंद्र भावसार, इंजीनियर, कृषि उपज मंडी रतलाम