उपभोक्ता मामलों से जुडे़ रतलाम के वरिष्ठ अभिभाषक सुनील पारिख ने बताया कि सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक बड़ी बात कह दी है। कोर्ट ने कहा है कि उन्होंने कभी ये कहा ही नहीं मोबाइल को आधार नंबर से जोड़ा जाए। पारिख ने ये बात उपभोक्ताओं को उनके अधिकार से जुडे एक आयोजन में बताई। पारिख ने बताया कि पांच सदस्यों वाली संविधान पीठ आधार को अनिवार्य करने के निर्णय को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। इस मामले में पीठ ने कहा है कि लोकनीति फाउंडेशन द्वारा दाखिल जनहित याचिका पर राष्ट्रीय सुररक्षा के हित में मोबाइल उपभोक्ताओं का प्रमाणीकरण किया जाना जरूरी है।
इस पर नहीं दिया निर्णय अभिभाषक पारिख ने उपभोक्ताओं को बताया कि कोर्ट ने एेसा कोई निर्देश नहीं दिया था कि मोबाइल को आधार से जोडऩा जरूरी है, लेकिन इसको हथियार के रुप में इस्तेमाल किया जा रहा है व आमजन को परेशान किया जा रहा है। अब कोर्ट की इस टिप्पणी से ये तय है कि आमजन को मोबाइल को आधार से जोडऩा जरूरी नहीं है।
ये जानना है जरूरी यूनिक आईडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अभिभाषक के अनुसार दूरसंचार विभाग की अधिसूचना में ई केवाईसी प्रक्रिया के अंतर्गत मोबाइल नंबर को पुष्टिकरण करना जरूरी है। जबकि कोर्ट ने इस पर कहा है कि ये अनुबंध लाईसेंस लेने वाली कंपनी व सरकार के बीच है तो इसमे उपभोक्ता को परेशान नहीं किया जा सकता है।
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अब नहीं रहा ये करना जरूरी उपभोक्ताओं से खचाखच भरे हॉल में अभिभाषक पारिख ने बताया कि अब ये साफ हो गया है कि किसी भी उपभोक्ता को अपने मोाबइल को आधार से जोडऩा फिलहाल जरूरी नहीं है। इस मामले में कोई उपभोक्ता को किसी भी प्रकार की टेलिकंपनी बाध्य नहीं कर सकती है। इसलिए सभी बेफिक्र रहे।