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रतलाम

पुनित अवसर है…आचार्यश्री ने भी कहा बहती गंगा को रोक लो

मुनिश्री प्रमाणसागर ने चातुर्मास पर कहा…मेरा चातुर्मास सुनिश्चित नहीं है समझ गए, लेकिन हां तुम्हारा भाग्य साथ देगा तो परिणाम जल्दी आएगा

रतलामJul 12, 2018 / 12:48 pm

Gourishankar Jodha

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पुनित अवसर है…आचार्यश्री ने भी कहा बहती गंगा को रोक लो

रतलाम। रत्नपुरी की धरा बुधवार सुबह धन्य हो गई, धर्म नगरी रतलाम में आचार्य सम्राट सन्मति सागर महाराज के प्रभावक शिष्य आचार्य सुंदर सागर महाराज ससंघ 5 मुनिराजों एवं 8 आर्यिकाओं का, आचार्य भगवंतश्री विद्यासागर महाराज के प्रभावी शिष्य मुनि प्रमाण सागर एवं मुनि विराट सागर का महा मिलन हुआ। इस क्षण को निहारने के लिए रत्नपुरी के सैकड़ों श्रावक-श्राविकाओं के साथ बड़वानी, मनावर, नागदा, बडऩगर, उज्जैन आदि अनेक शहरों के धर्मालुजन उपस्थित हुए। स्टेशन रोड महाराष्ट्र समाज भवन पर आचार्य सुंदरसागर महाराज ने उपस्थित जनों को संबोधित करते हुए कहा कि १७ जुलाई को गुरुदेव आचार्य विद्यासागरजी महाराज के ५१वें स्वर्णिम संयम दिवस महोत्सव के रूप में मनाया जाएगा। चातुर्मास एक का नहीं, समाज सकल जैन समाज का है। इस पुनित अवसर पर बहती गंगा को यहीं रोक लो। इस पुनित अवसर का लाभ ले लो। मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने कहा कि महाराज ने की आप लोग चौमासा करा लीजिए, मेरा तो फिक्स हो गया है। मेरा चातुर्मास सुनिश्चित नहीं है। समझ गए, लेकिन हां तुम्हारा भाग्य साथ देगा तो परिणाम जल्दी आएगा।
वे स्वर उनके थे, बात मेरी ही थी
मुनिश्री ने कहा कि मैने ही सांवलाजी ने जैन समाज के इतिहास का परिचय दिया, मैने ही प्रात:काल कहा था कि आज यह विषय आप रखना, आप लोगों के अंदर इतनी भी धीरज नहीं की अपने गौरव की बात हम सुन सके। वे स्वर उनके थे, बात मेरी ही थी। इस शंका समाधान के मंच को हमने एक संदेश बनाने के लिए एकत्रित हुए है। आगे कब तक मैं आपके मध्य रहूं या ना रहूं, लेकिन हम क्या कोई भी किसी को भी अवसर दें, तो बिच में किसी को ना टोंके, सम्मान करे और अपनी सभ्यता का परिचय दें, इस बात का आप सब ध्यान रखेंगे।
अच्छे दोस्त का बर्ताव और भाव अच्छा हो
शंका समाधान में बुधवार की शाम मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने श्रावक मास्टर कुणाल जैन के पुछे गए प्रश्र हम अच्छा दोस्त किसे चुने? का समाधान करते हुए बताया कि अच्छे मनुष्य की पहचान उसके अच्छे विचार और व्यवहार से होती है। कई लोगों का बर्ताव अच्छा होता व्यवहार खराब होता है। जिसका भाव अच्छा और बर्ताव भी अच्छा, आचार भी अच्छा विचार भी अच्छा वहीं एक सच्चा दोस्त होता है।
सांवला ने जैन इतिहास से कराया अवगत
विहिप के हुकुमचंद सांवला ने जैन समाज के इतिहास को दिगम्बर जैन समाज के समक्ष रखते हुए ध्यान आकर्षित करवाते हुए कहा कि हम क्षत्रिय है और जिस दिन जैन समाज उस क्षत्रिय भाव को धारण करेगा, उस दिन इस देश का नया इतिहास होगा, हम वीरों की संतान है।

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