मुनिश्री ने कहा कि मैने ही सांवलाजी ने जैन समाज के इतिहास का परिचय दिया, मैने ही प्रात:काल कहा था कि आज यह विषय आप रखना, आप लोगों के अंदर इतनी भी धीरज नहीं की अपने गौरव की बात हम सुन सके। वे स्वर उनके थे, बात मेरी ही थी। इस शंका समाधान के मंच को हमने एक संदेश बनाने के लिए एकत्रित हुए है। आगे कब तक मैं आपके मध्य रहूं या ना रहूं, लेकिन हम क्या कोई भी किसी को भी अवसर दें, तो बिच में किसी को ना टोंके, सम्मान करे और अपनी सभ्यता का परिचय दें, इस बात का आप सब ध्यान रखेंगे।
शंका समाधान में बुधवार की शाम मुनिश्री प्रमाण सागर महाराज ने श्रावक मास्टर कुणाल जैन के पुछे गए प्रश्र हम अच्छा दोस्त किसे चुने? का समाधान करते हुए बताया कि अच्छे मनुष्य की पहचान उसके अच्छे विचार और व्यवहार से होती है। कई लोगों का बर्ताव अच्छा होता व्यवहार खराब होता है। जिसका भाव अच्छा और बर्ताव भी अच्छा, आचार भी अच्छा विचार भी अच्छा वहीं एक सच्चा दोस्त होता है।
विहिप के हुकुमचंद सांवला ने जैन समाज के इतिहास को दिगम्बर जैन समाज के समक्ष रखते हुए ध्यान आकर्षित करवाते हुए कहा कि हम क्षत्रिय है और जिस दिन जैन समाज उस क्षत्रिय भाव को धारण करेगा, उस दिन इस देश का नया इतिहास होगा, हम वीरों की संतान है।