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ऐसी वंदना का कोई फायदा नहीं होता, जाने ऐसा क्यों कहा आचार्यश्री

ऐसी वंदना का कोई फायदा नहीं होता, जाने ऐसा क्यों कहा आचार्यश्री

रतलामOct 18, 2018 / 03:49 pm

Gourishankar Jodha

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ऐसी वंदना का कोई फायदा नहीं होता, जाने ऐसा क्यों कहा आचार्यश्री

रतलाम। आजकल लोग एक्सप्रेस ट्रेन जैसी वंदना करते है। एक-डेढ़ मिनट में माला पूरी नहीं होती और तीन-चार मिनट में भक्तामर पाठ नहीं होता, लेकिन लोग इसे करने का दावा करते है। ऐसी वंदना का कोई फायदा नहीं होता, क्योंकि इसमें भाव शून्य रहते है। वंदन करो, तो उसमें भावों का धागा पिरोया होना चाहिए। भावशून्य वंदना फलदायी नहीं होती। इससे मन, वचन, काया की शुद्धि नहीं होती। वंदना भावपूर्ण होना चाहिए। काम, क्रोध, लोभ, मोह, मान, माया से मुक्त होने पर ही भाव बनते है।
यह विचार दीक्षा दानेश्वरी आचार्यश्री रामेश ने व्यक्त किए। समता कुंज में बुधवार सुबह अमृत देशना के दौरान उन्होंने कहा कि हम वंदना करते है, तो किसी पर एहसान नहीं करते है। वंदना हमेशा अपने लिए की जाती है। इसका उद्देश्य पुण्य का संचय करना होता है, इसलिए यह समझना जरूरी है कि भावपूर्ण वंदन से ही कर्म निर्झरा होती है। आदित्य मुनि ने बुराईयों का त्याग करने का आव्हान किया। इस मौके पर नई दिल्ली निवासी चेतनमल-कंचनदेवी सुराना ने आजीवन शीलव्रत का संकल्प लिया। कई तपस्वियों ने अलग-अलग तपस्या के प्रत्याख्यान लिए। संचालन बाबूलाल सेठिया ने किया।
हम इसे तप-आराधना और साधना से सफल बनाए
प्रभु ने हम पर विशिष्ट कृपा कर यह दुर्लभ मानव देह प्रदान किया है। हम इसे तप-आराधना और साधना से सफल बनाए। ऐसा मौका बार-बार नहीं मिलता है। यह बात आचार्यश्री जिनचन्द्रसागर सूरि महाराज ने अपने 67वें जन्मोत्सव पर कही। भक्तों द्वारा चतुर्विद श्रीसंघ ने भक्ति भावना के साथ जन्मोत्सव मनाया। सभी ने आचार्य श्री के दर्शन वन्दन कर उनके स्वस्थ्य और सुदीर्ध संयम जीवन की मंगलकामनाए की। धर्म जागरण चातुर्मास के 87वे दिन आगमोउद्धारक वाटिका और करमचंद उपाश्रय में आचार्यश्री के जन्मोत्सव को लेकर उत्साह, उमंग और उत्सव का वातावरण रहा। यहां आकर्षक और सुंदर रंगोली सजाते हुए तोरण लगाए गए थे। आचार्य श्री ने करमचंद मंदिर में दर्शन का लाभ लिया। इसके बाद वे उपाश्रय में आए रतलाम सहित गुजरात, महाराष्ट्र अदि स्थानों से आये भक्तों उन्हें वन्दन करते हुए मंगल भक्ति गीतों से शुभेच्छा भेंट की। सभी ने जिनचंद्रसागर महाराज जीये हजारों साल का जयघोष किया।
रतलाम का परम सौभाग्य
गणिवर्य विरागचन्द्रसागर महाराज ने कहा की यह हमारे लिए अत्यंत ही गौरव का क्षण है कि 36 वर्षों बाद रतलाम की धर्मधरा पर चातुर्मास अंतर्गत आचार्यश्री के जन्मोत्सव का मंगल प्रसंग आया है। आपके सानिध्य में जीवन में संयम की ज्योति, साधना का स्वर और सेवा का संगीत गूंजता रहे। हमे संयम, सादगी और सुकून मिलता रहे, आज यही संकल्प ले। आचार्यश्री के 108 से अधिक शिष्य और प्रशिष्य का विशाल परिवार इस पुनीत वेला में हर्षित है। रतलाम के गौरवशाली जिन शासन इतिहास के साक्षी और स्वर्णिम साधनामय भविष्य के सर्जनहार भी हमारे गुरुवर है। इसके पूर्व नवपद ओलीजी आराधना के दूसरे दिन सिद्धचक्र पद की व्याख्या गणिवर्य पद्मचन्द्रसागरश्री ने की।
साध्वी पुण्यशीलाश्री महाराज के सानिध्य में 33 मासक्षमण पूर्ण
श्री धर्मदास जैन मित्र मण्डल नौलाईपुरा स्थानक पर विविध धार्मिक आराधनाएं हो रही है। जिसमें बड़ी संख्या में श्रावक-श्राविकाएं और बच्चें उत्साहपूर्वक भाग ले रहे है। श्री धर्मदास जैन श्रीसंघ के अध्यक्ष शैलेष पीपाड़ा, महामंत्री अरविन्द मेहता और सचिव नरेन्द्र गांधी ने बताया कि-साध्वीश्री के सानिध्य में यहां तपस्वी प्रमोद सालेचा, राकेश झामर, दीप्ति मूणत ने 31-31 उपवास तथा प्रवीण खुणिया व अनिल कोठारी ने 30-30 उपवास की कठोर तपस्या पूर्ण की। उल्लेखनीय है कि तपस्वी अनिल कोठारी साध्वी रेणुप्रभाश्री के सांसारिक काका और प्रवीण खुणिया साध्वी चतुर्गुणाश्री व अनंतगुणा श्री के सांसारिक भाई हैं। वर्षावास में अभी तक 33 मासक्षमण पूर्ण हो चुके है। अणु मित्र मण्डल के अध्यक्ष विनय लोढ़ा, महामंत्री राजेश कोठारी और सचिव मिलिन गांधी ने बताया कि-तपाराधकों की तपस्या पूर्ण होने पर श्री धर्मदास जैन श्रीसंघ द्वारा श्री धर्मदास जैन मित्र मण्डल नौलाईपुरा स्थानक पर बहुमान समारोह आयोजित किया गया। बहुमान समारोह को साध्वी मण्डल ने संबोधित किया। संचालन सौरभ कोठारी ने किया।

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