रतलाम. देश आजादी के अमृत महोत्सव में राष्ट्रभक्ति में डूब चुका है। हर घर तिरंगा अभियान अब चरम पर आ गया है। शासन, प्रशासन के साथ – साथ आमजन भी तिरंगें को सम्मान देते हुए आजादी के लिए जो अनगिनत शहीद हुए उनको याद करते हुए नमन कर रहा है। आजादी के अमृत महोत्सव में पत्रिका के चल रहे आयोजन में शहर के वरिष्ठ कवियों ने राष्ट्रभक्ति की कविताओं से माहोल को ओजमय बना दिया।
राष्ट्रीय कवि सम्मेलन की शुुरआत सुत्रधार जुझारसिंह भाटी ने चार लाइन से की। इसके बाद कवियों ने लगातार राष्ट्रीय कविताओं का जो समाबांधा तो देर तक वाह – वाह गूंजती रही। मन तिरंगा और तन तिरंगा
मन तिरंगा, तन तिरंगा और ये जीवन तिरंगा राष्ट्र की ये मौन भाषा शब्द का उपवन तिरंगा मर मिटे इस आन पर जान कर कुरबान कितने मजहब के पार फैला ये सकल मधुवन तिरंगा
– मुकेश सोनीपहचान होना चाहिए ये तिरंगा ले के इक ऐलान होना चाहिये और हर इंसान का सम्मान होना चाहिये प्यार बांटो सब में दीपक और मिलो सबसे गले
एक मानवता की भी पहचान होना चाहिये – दिनेशचंद्र उपाध्यायआस्तीन में सांप हां, आस्तीन में सांप पालने का शौक हैं मुझे क्या कहा आपने, मुझे डर नहीं लगता, जी नहीं
मुझे डर नहीं लगता.. मुझे सांपो से नहीं, इंसानों से डर लगता सांप के काटे जहर का तो तोड़ है मगर, दो मुंहे इंसान के जहर का भला कोई तोड़ है
– जुझारसिंह भाटीमुस्कराना नहीं छाडूंगा मां कितने भी संकट आये, मुस्कराना नहीं छोडूंगा मां तेरा बेटा हूं, तेरी शान, तेरा मान रखूंगा मां रक्षा करूंगा हमेशा, दुश्मनों से तेरी
फिर खुद को मिटाकर, तेरे आंचल में सो जाऊंगा मां इंदु सिंहा इंदु हम सब आजाद है आजाद हूं मैं, और आजाद तखल्लूस है मेरा वीर भारत भूमि से जन्मा भारती नाम है मेरा
है तभी तो कलम किसी बात की मोहताज नहीं कुछ भी हो, यह कहती है, यही पैगाम है मेरा आजाद भारती
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