माप पुस्तिका के अनुसार 93.06 किमी क्षेत्र में डाली गई पाइप लाइन की जब जांच हुई तो यह 92.115 किमी ही पाई गई। पाइप लाइन के उपर औसत सोयल कवर 60 सेंटीमीटर का पाया गया। इससे शहर के 24.22 किमी क्षेत्र में ही पेयजल मिल पा रहा है। बड़ी बात यह की इससे कस्तुरबा नगर क्षेत्र में 5.63 किमी तो रामरहिम नगर क्षेत्र में 1.35किमी क्षेत्र में ही पेयजल पूरे दबाव से पहुंच पा रहा है।
जहां नल ही नहीं, वहां डाल दी हैरानी की बात यह है कि जहां पेयजल के लिए नल कनेक्शन ही नहीं थे, वहां भी पाइप लाइन डाल दी गई। 10564मीटर पेयजल पाइप लाइन के ऊपर सीसी रोड बन गया। ऐसे में जितनी बार पेयजल कनेक्शन लेना होता है, उतनी बार सीसी रोड को खोदा जाता है।
6 उपयंत्रियों ने की जांच पूरे मामले की लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने जांच की। जांच के लिए सहायक यंत्री के नेतृत्व में छह उपयंत्रियों का दल बनाया गया। दल ने पाइप लाइन की गहराई, पाइप लाइनका व्यास, पाइप लाइन का प्रकार, पाइप लाइन से किए जा रहे पेयजल वितरण आदि का निरीक्षण किया। जोन अनुसार हुई जांच में कागज में बताई गई और वास्तविक डाली गई पाइप लाइन में अंतर सामने आया। जांच रिपोर्ट कलेक्टर को दी गई।
शिकायत को दबा दिया तत्कालीन महापौर आशा मोर्य के कार्यकाल में 32.25 करोड़ रुपए की इस योजना की मंजूरी दी गई। बाद में जब पाइप लाइन डालने के दौरान गड़बड़ी सामने आई तो तत्कालीन मेयर इन कौसिंल सदस्य पवन सोमानी ने मामला उठाया और शिकायत की, लेकिन शिकायत को दबा दिया गया।
गंभीर मामला, सख्त कार्रवाई होगी शहर में पेयजल पाइप लाइन डालने के मामले में प्रथम दृष्टया जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी सामने नजर आ रही है। यह गंभीर मामला है। इस मामले में सख्त कार्रवाई की जाएगी।
– अभिषेक गेहलोत, आयुक्त नगर निगम