रतलाम के सट्टा बाजार की बात करें तो कभी जोरदार मुद्दों के चलते मध्यप्रदेश में कांगे्रस की सरबार बनती नजर आती है तो कभी पीएम नरेंद्र मोदी की सभा के बाद भाजपा सरकार बनाने के लिए पाट पर आ जाती है। सट्टा बाजार के अनुसार मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीट के लिए लड़ाई नेट टू नेट है। जो भी दल सरकार बनाएगा वो बहुमत के लिए जरूरी 116 सीट के करीब ही रहेगा। इसकी एक बड़ी वजह शहर व मध्यम श्रेणी के शहर में भाजपा तो गांव में कांगे्रस का प्रभाव अधिक है। सरकार बनाने के लिए निमाण व मालवा में किसी भी दल का स्पष्ट रुप से आना जरूरी होता है। मालवा का सट्टा बाजार के अनुसार सुबह से लेकर शाम तक भाव पार्टी से लेकर प्रत्याशी के अनुसार बदल रहे है।
सीएम व सिंधिया से तय होगा सट्टा बाजार का मानना है कि चुनाव के अंतिम पांच दिन में जो दल अपने राज्य के खास नेताओं की सभा करवाएगा उसकी सरकार बनने के आसार अधिक होंगे। रतलाम के बडे़ सट्टा कारोबारियों के अनुसार अंतिम समय में अगर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व कांगे्रस के ज्योतिरादित्य सिंधिया की सभा बराबरी में होती है तो मुकाबला तगड़ा हो जाएगा। एेसे में पाट पर जो मजबूत होगा, उसकी सरकार बनना तय होगी। सट्टा बाजार के अनुसार तीन राज्यों में फिलहाल मुकाबला बिल्कुल ही एक-तरफा नहीं है। दोनों दल बराबरी का जोर लगा रहे है। एेसे में बाजार के भाव प्रतिदिन दोनों दल के लिए उपर नीचे हो रहे है।
एेसे हो रहे भाव
बाजार के अनुसार पिछले तीन दिन से मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार के भाव उपर-नीचे थे। जबकि राजस्थान में कांगे्रस की सरकार के भाव व भाजपा के भाव में बड़ा अंतर था। इसी प्रकार छत्तीसगढ़ में सट्टा बाजार के भाव दोनों के बराबर रहे है। इस भाव में अब तेजी से सुधार हुआ है। अब दोनों दल के भाव मध्यप्रदेश में सरकार बनाने के लिए पाट पर बराबर हो गए है। जबकि राजस्थान में कांगे्रस व भाजपा के बीच मुकाबला 30 नवंबर के बाद बेहतर पाट पर साफ होगा। इसी प्रकार के हालात छत्तीसगढ़ में है। अंतिम समय में जो दांव लगाएगा उसका भाव पाट पर सरकार बनाने के लिए बेहतर होगा।