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रतलाम

गुप्त नवरात्र प्रारंभ…करें 10 महाविधाओं की साधना होगी मनोकामना पूर्ण

आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्र आज से होगी प्रारंभ, शहर के प्राचीन मंदिर कालिका माता, महालक्ष्मी मंदिर, महिषासुर मर्दिनी आदि पर दर्शन वंदन के लिए पहुंचें भक्त

रतलामJul 13, 2018 / 12:36 pm

Gourishankar Jodha

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गुप्त नवरात्र प्रारंभ…करें 10 महाविधाओं की साधना होगी मनोकामना पूर्ण

रतलाम। मां की आराधना करने एवं गुप्त सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए 13 जुलाई शुक्रवार से आषाढ मास में आने वाली गुप्त नवरात्र की शुरूआत होगी। गुप्त नवरात्र में मां काली की आराधना, 10 महाविधाओं की साधना, सिद्धी व तप के लिए खास महत्व बताया है। नवरात्र में दुर्गा सप्तसती दुर्गा कवच के साथ ही दुर्गा के 108 नामों का जाप करने से साधक की अनेक मनोकामनाएं पूरी हो सकती है। स्वास्थ्य लाभ मिल सकता है।

ज्योतिषी रवि जैन ने बताया कि हिन्दू कैलेंडर के अनुसार साल में चार नवरात्र मानी गई है, जिसमें प्रथम चैत्र मास, दूसरी आषाढ मास, तीसरी अश्विन मास और अंत में माघ मास में आती है। इसमें से दो नवरात्र आषाढ एवं माघ माह में आने वाली नवरात्र को गुप्त कहां जाता है। 13 जुलाई को अमावस्या प्रात:काल 8 बजकर 18 मिनट रहेगी, इसके बाद प्रतिपदा तिथि प्रांरभ हो जाने एवं अगले दिन सूर्योदय के पूर्व ही तिथिकाल समाप्त हो जाने के कारण गुप्त नवरात्र की शुरूआत एवं घटस्थापना 13 जुलाई से होगी। शहर के प्राचीन मंदिर कालिका माता, महालक्ष्मी मंदिर, महिषासुर मर्दिनी आदि पर दर्शन वंदन के लिए पहुंचें भक्त
राशि के अनुसार महाविद्या एवं नवदुर्गा की पूजा:. नौ दिनों में भक्तगण अपनी राशि के अनुसार महाविधा एवं नवदुर्गा के रूपों की अराधना कर सकते है।

राशि महाविद्या नवदुर्गा

1 मेष देवी उग्रतारा शैलपुत्री
2 वृषभ त्रिपुर सुंदरी ब्रह्मचारिणी
3 मिथुन भुवनेश्वरी चंद्रघंटा
4 कर्क कमला सिद्धिरात्रि
5 सिंह बगलामुखी कालरात्रि
6 कन्या भुवनेश्वरी चंद्रघंटा
7 तुला त्रिपुर सुंदरी ब्रह्मचारिणी
8 वृश्चिक देवी उग्रतारा शैलपुत्री
9 धनु कमला सिद्धिरात्रि
10 मकर काली सिद्धिरात्रि
11 कुंभ काली सिद्धिरात्रि
12 मीन कमला सिद्धिरात्रि
ऐसे करें आराधना
मृगचर्म एवं कुशादर्भासन पर बैठकर जाप करने से ज्ञानसिद्धि, व्याघ्र चर्म पर बैठने से मोक्षमार्ग कम्बल के आसन पर बैठने से सर्वसिद्धि मिलती है। वस्त्र के आसन से द्ररिदता, पाषण यानि पत्थर पर बैठकर जाप करने से रोग और बिना आसन केवल पृथ्वी बैठकर जाप करने से दु:ख व लकडी पर बैठकर करने से निष्फलता आती है।

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