भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर एवं दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेन्द्र गुप्ता ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि अपनी आदत अनुसार वित्त मंत्री अरुण जेटली को बदनाम किए जाने को लेकर मानहानि के मुकदमे में केजरीवाल ने अपने वकील जेठमलानी को करीब चार करोड़ रुपए के बिल का दिल्ली सरकार के खजाने से भुगतान किया है और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया ने अपने अधिकारियों को उस फाइल को उपराज्यपाल के पास स्वीकृति के लिए नहीं भेजने के निर्देश भी दिए थे।
जावड़ेकर ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने भी साफ किया है कि यह एक व्यक्तिगत मामला है। केजरीवाल के मिथ्या आरोपों पर जेटली ने मानहानि का मुकदमा कायम करने पर स्वयं अपनी आय से दस लाख रुपए की स्टाम्प ड्यूटी अदा की थी और अपने वकीलों को भी वह स्वयं अपनी आय से फीस देते हैं। लेकिन इस व्यक्तिगत मामले को लेकर भी केजरीवाल ने सरकारी खजाने से वकील को भुगतान करके भ्रष्टाचार किया है। यह कदम ना केवल अवैध है बल्कि अनैतिकता की पराकाष्ठा भी है। उन्होंने सवाल किया कि अगर अदालत केजरीवाल पर दस करोड़ रुपये के जुर्माने का फैसला सुना दे तो क्या वह उसका भुगतान दिल्ली की आम जनता के पैसे से करेंगे।
केजरीवाल के खिलाफ ऐसे सात मामले लंबित है और उन पर सौ करोड़ रुपए का जुर्माना होता है तो भी क्या वह सरकारी खजाने का दुरुपयोग करेंगे। उन्होंने कहा कि डेंगू के उपचार और सफाई कर्मियों के वेतन देने के लिए केजरीवाल सरकार पैसे की कमी का रोना रोती है और अपने निजी मुकदमों में वकीलों की फीस भरने के लिये अवैध रूप से इतनी बड़ी रकम का भुगतान करती है। उन्होंने कहा कि दिल्ली नगर निगम का चुनाव आने वाला है।
केजरीवाल अपनी ईमानदारी का डंका पीट रहे हैं और दिल्ली की जनता देख रही है कि केजरीवाल उसके पैसे पर किस प्रकार डाका डाल रहे हैं। जेठमलानी द्वारा केजरीवाल से पैसे नहीं लेने का बयान दिये जाने के बारे में पूछे जाने पर जावड़ेकर ने कहा कि सत्याग्रह में भाग लेने वाले कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मुकदमे में मदद करने वाले बहुत से वकील अपनी फीस नहीं लेते हैं लेकिन वे उसके लिये बिल भी नहीं भेजते हैं। जेठमलानी ने इस मामले में बिल भेजा है जो सार्वजनिक रूप से उपलब्ध है।