video, तापमान 46 डिग्री, यह कर रहे आपकी ट्रेन में यात्रा सुरक्षित
ट्रेन में यात्रा के दौरान अक्सर कहा जाता है कि आपकी यात्रा सुरक्षित हो। कभी इस बात को सोचा है कि आपकी यात्रा को सुरक्षित बनाने वाले किस तरह काम करते है। https://www.patrika.com/ratlam-news/ आपको बता रहा है कि आपकी यात्रा 46 डिग्री तापमान में हो या तेज बारिश के साथ, असल में कौन आपको अपनी पसंद के रेलवे स्टेशन तक सुरक्षित पहुंचाता है।
Temperature 46 degrees, making it safe to travel in your train
रतलाम. ट्रेन में यात्रा के दौरान अक्सर कहा जाता है कि आपकी यात्रा सुरक्षित हो। कभी इस बात को सोचा है कि आपकी यात्रा को सुरक्षित बनाने वाले किस तरह काम करते है। https://www.patrika.com/ratlam-news/ आपको बता रहा है कि आपकी यात्रा 46 डिग्री तापमान में हो या तेज बारिश के साथ, असल में कौन आपको अपनी पसंद के रेलवे स्टेशन तक सुरक्षित पहुंचाता है।
इस समय मौसम का तापमान 42 से 46 डिग्री के बीच चल रहा है। रेलवे में सुरक्षित यात्रा यात्री करते है, लेकिन इस सुरक्षित यात्रा को कराने में पटरी पर किस तरह मैदानी अमला गर्मी, बारिश व कंपकपाने वाली सर्दी में कंधे पर भारी बैग लेकर काम करता है, इसकी जानकारी कम को है। इनके काम के चलते ही अधिकारियों को वरिष्ठ कार्यालय से शील्ड मिलती है।
पटरी टूटी मिलती है रेल मंडल में कभी पटरी टूटी मिलती है तो कभी दो पटरी को जोडऩे वाला महत्वपूर्ण संसाधन एंकर टूटा मिलता है। ऐसे समय में जब कभी – कभी सामने से तेज गति की ट्रेन आ रही हो, तब इन मैदानी अमले की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी होती है कि वे ट्रेन को सुरक्षित चलाने के लिए समय रहते कमी में सुधार करें। इसके लिए कभी – कभी ऐसा भी होता है कि कम समय में अधिक काम करना होता है।
गर्मी व सर्दी सबसे भारी रतलाम – बांगरोद रेल सेक्शन में कीमैन व पेट्रोलमैन के साथ चलने वाले रेलपथ निरीक्षक राजेंद्र शर्मा ने बताया वैसे तो हर समय मैदानी अमले को सतर्क व सचेत रहना होता है, लेकिन सर्दी व गर्मी का समय सबसे अधिक ध्यान रखने का होता है। असल में इन दो मौसम में ही पटरी का सिकुडऩा व फैलना होता है। ऐसे में जहां पटरी पर क्रेक होता है, उसको तुरंत सुधार करना होता है।
IMAGE CREDIT: patrikaपटरी के जोड़ में निकला हुआ था एंकर दो पटरी को जोडऩे वाले संसाधन जिसे रेल कर्मचारी एंकर कहते है, वो बांगरोद से रतलाम रेल मार्ग के बीच में मिला। जब यह मिला तो सबसे पहले कर्मचारी ने उसको उठाकर यह जांच की वो क्षतिग्रस्त तो नहीं है, जब सब कुछ सही पाया तो उसको जोडऩे का काम किया। रेल कर्मचारी के अनुसार सुबह 6 बजे ड्यूटी की शुरुआत होती है व तीन से चार घंटे में जांच का पहला राउंड पूरा होता है। इसके बाद दोपहर में जांच का दूसरा चरण शुरू होता है तो वो शाम तक चलता है। कई बार पानी साथ रहता है, कभी समाप्त भी हो जाता है, कभी कही मिल गया तो ठीक नहीं तो प्यासे ही काम करते है।
यह सबसे बड़ी ताकत रेल पटरी पर काम करने वाले गैंगमैन, कीमैन, ट्रैकमैन पेट्रोलमैन आदि रेलवे की सबसे बड़ी शक्ति है। इनकी कड़ी मेहनत के चलते ही रेल संचालन सुरक्षित हो रहा है।
– विनीत गुप्ता, मंडल रेल प्रबंधक
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