आग बुझाने में गवाई जान
विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में शुक्रवार को आग लग गई थी। इस बुझाने की कोशिशों में नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्रसिंह चौहान शहीद हो गए। आईएनएस विक्रमादित्य में आग लगने की घटना शुक्रवार सुबह उस वक्त हुई जब वह कर्नाटक के कारवार स्थित हार्बर में दाखिल हो रहा था। सेना के अधिकारी ने जोशी को बताया कि पोत के चालक दल ने आग को नियंत्रित किया, जिससे विमान को बड़ा नुकसान नहीं हुआ। इसी आग बुझाने के दौरान लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान भी झुलस गए। उन्हें तुरंत इलाज के लिए कारवार स्थित नौसैनिक अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रमादित्य में शुक्रवार को आग लग गई थी। इस बुझाने की कोशिशों में नौसेना के लेफ्टिनेंट कमांडर धर्मेंद्रसिंह चौहान शहीद हो गए। आईएनएस विक्रमादित्य में आग लगने की घटना शुक्रवार सुबह उस वक्त हुई जब वह कर्नाटक के कारवार स्थित हार्बर में दाखिल हो रहा था। सेना के अधिकारी ने जोशी को बताया कि पोत के चालक दल ने आग को नियंत्रित किया, जिससे विमान को बड़ा नुकसान नहीं हुआ। इसी आग बुझाने के दौरान लेफ्टिनेंट कमांडर चौहान भी झुलस गए। उन्हें तुरंत इलाज के लिए कारवार स्थित नौसैनिक अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान उनकी जान नहीं बचाई जा सकी।
शुरू से ही नेवी में जाने का था लक्ष्य
धर्मेंद्र के स्कूल के साथी संजय बैरागी ने बताया कि वे दोनों एक साथ सागोद रोड स्थित जैन स्कूल में 11वीं व 12वीं पढ़े हैं। उनकी अच्छी दोस्ती थी, धर्मेंद्र शुरू से ही प्रतिभाशाली थे। उनकी शुरू से ही नेवी में जाने की इच्छी थी और इसी वजह से साइंस मैथ्स से १२वीं करने के बाद इंदौर चले गए, उन्हें नेवी में नौकरी मिल ही गई। एक अन्य स्कूली साथी हेमंत मोयल का कहना है कि वे और धर्मेंद्र पांचवीं से एक साथ पढ़ते रहे। शुरू से ही वे काफी गंभीर थे।
धर्मेंद्र के स्कूल के साथी संजय बैरागी ने बताया कि वे दोनों एक साथ सागोद रोड स्थित जैन स्कूल में 11वीं व 12वीं पढ़े हैं। उनकी अच्छी दोस्ती थी, धर्मेंद्र शुरू से ही प्रतिभाशाली थे। उनकी शुरू से ही नेवी में जाने की इच्छी थी और इसी वजह से साइंस मैथ्स से १२वीं करने के बाद इंदौर चले गए, उन्हें नेवी में नौकरी मिल ही गई। एक अन्य स्कूली साथी हेमंत मोयल का कहना है कि वे और धर्मेंद्र पांचवीं से एक साथ पढ़ते रहे। शुरू से ही वे काफी गंभीर थे।
सारे परिजन पहुंच गए रतलाम
दोपहर में धर्मेंद्र के घायल होकर अस्पताल में होने की सूचना मिलने के बाद उनके पैतृक गांव शेरपुर (पिपलौदा) से परिजन भी रतलाम पहुंच गए थे। उधर ताल के समीपी गांव रूपड़ी निवासी धर्मेंद्र के नाना रुघनाथसिंह राठौर भी रतलाम पहुंच गए थे। सभी की जबान पर एक ही बात थी कि इतने अच्छे लड़के के साथ अचानक यह क्या हादसा हो गया। आसपास के लोग भी अचानक हुए इस हादसे से स्तब्ध है। उनका कहना है कि जब भी वह रतलाम आता तो सभी से मिलकर जाता। परिवार में इस समय उनकी मां और छोटी बहन हंै।
दोपहर में धर्मेंद्र के घायल होकर अस्पताल में होने की सूचना मिलने के बाद उनके पैतृक गांव शेरपुर (पिपलौदा) से परिजन भी रतलाम पहुंच गए थे। उधर ताल के समीपी गांव रूपड़ी निवासी धर्मेंद्र के नाना रुघनाथसिंह राठौर भी रतलाम पहुंच गए थे। सभी की जबान पर एक ही बात थी कि इतने अच्छे लड़के के साथ अचानक यह क्या हादसा हो गया। आसपास के लोग भी अचानक हुए इस हादसे से स्तब्ध है। उनका कहना है कि जब भी वह रतलाम आता तो सभी से मिलकर जाता। परिवार में इस समय उनकी मां और छोटी बहन हंै।